15 दिन के अंदर प्रवासी मज़दूरों को घर पहुंचाएंः सुप्रीम कोर्ट
प्रवासी मजदूरों के बदहाली पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम ने प्रवासी मज़दूरों को घर पहुंचाने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
कोर्ट ने कहा, “हम जो करना चाहते हैं, वह आपको बताएंगे। हम सभी प्रवासियों को घर पहुंचाने के लिए 15 दिन का समय देंगे।”
कोर्ट ने ये भी कहा कि सभी राज्य बताएं कि वे कैसे रोजगार और अन्य राहत प्रदान करेंगे। साथ ही कोर्ट ने प्रवासियों के पंजीकरण की बात कही।
अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ‘हम 15 दिन का वक्त देते हैं, ताकि राज्यों को प्रवासी श्रमिकों के परिवहन को पूरा करने की अनुमति दी जा सके।’
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने दलील दी थी कि मज़दूरों को घर भेजने के लिए लागू किया गया रजिस्ट्रेशन सिस्टम काम नहीं कर रहा है, जो एक बड़ी समस्या है।
जब कोर्ट ने उपाय पूछा तो कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि ‘आपके पास पुलिस स्टेशन या अन्य स्थानों पर स्पॉट हो सकते हैं, जहां प्रवासी जा सकते हैं और पंजीकरण फॉर्म भर सकते हैं।’
वहीं, वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि समस्या यह है कि इन प्रवासियों को किसी भी अन्य यात्रियों की तरह माना जा रहा है जो ट्रेन में यात्रा करना चाहते हैं।
गुजरात सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस मामले में अब और विस्तृत जांच की आवश्यकता नहीं है क्योंकि 22 लाख प्रवासी श्रमिकों में से 2.5 लाख ही रह गए हैं जबकि 20.5 लाख को वापस भेजा जा चुका है।
वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि 11 लाख से अधिक प्रवासी वापस चले गए हैं और सिर्फ 38 हज़ार रह गए हैं।
भारत में अचानक लॉकडाउन की घोषणा के कारण कई राज्यों में मज़दूर अभी भी फंसे हुए हैं और हजारों मज़दूर सड़कों को नापते हुए अपने गृहराज्य की तरफ निकल गए हैं।
मजदूरों को वेतन देने पर फैसला 12 जून को
महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को पूरा वेतन देने के केंद्र कि अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में कोर्ट 12 जून को फैसला सुनाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तब तक उन फैक्टरी वालों/नियोक्ताओं पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं होगी, जिन्होंने श्रमिकों को वेतन नहीं दिया है। कोर्ट ने कहा कि तीन दिनों में सभी पक्ष अपनी लिखित दलीलें दाखिल कर सकते हैं।
प्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के 29 मार्च के अधिसूचना को लेकर कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। साथ ही कई फैक्टरियों व उद्योगों की ओर से याचिका दाखिल कर इस अधिसूचना को चुनौती दी गई है।
इस अधिसूचना में केंद्र ने कहा था कि नियोक्ता मजदूरों का वेतन दें और काम पर नहीं आने वाले कर्मचारोयों का वेतन न काटा जाए।
लेकिन केंद्र सरकार ने अब कोर्ट में रुख बदल लिया और कहा कि लॉकडाउन अवधि के दौरान श्रमिकों को मज़दूरी का भुगतान नियोक्ता और कर्मचारियों के बीच का मामला है। केंद्र सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी।
लॉकडाउन में फंसे थे 26 लाख प्रवासी मजदूर : केंद्रीय श्रम आयुक्त
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश के बाद केंद्रीय श्रम आयुक्त (सीएलसी) कार्यालय ने देशभर में फंसे प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा जारी कर दिया है।
ये आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में 26.17 लाख प्रवासी मजदूर फंसे थे।
छत्तीसगढ़ में फंसे प्रवासी मजदूरों की संख्या सबसे अधिक थी। इस राज्य में कुल 10,85,828 प्रवासी मजदूर फंसे थे।
केरल में 2,86,846 प्रवासी मजदूर, तमिलनाडु में 1,93,730 प्रवासी मजदूर, तेलंगाना में 1,84,006 प्रवासी मजदूर, महाराष्ट्र में 1,81,909 प्रवासी मजदूर, आंध्र प्रदेश में 1,00,099 प्रवासी मजदूर फंसे हुए थे।
केंद्रीय श्रम आयुक्त कार्यालय को यह आंकड़ा क्षेत्रीय श्रम आयुक्त कार्यालयों द्वारा उपलब्ध कराया गया है।
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