बंधुआ मज़दूरी के ख़िलाफ़ दशकों तक आंदोलन चलाने वाले स्वामी अग्निवेश नहीं रहे
बंधुआ मज़दूरी के ख़िलाफ़ दशकों तक अभियान चलाने वाले स्वामी स्वामी अग्निवेश का शुक्रवार को 81 साल की उम्र में निधन हो गया।
वो लंबे समय तक लिवर की बीमारी से जूझ रहे थे और अस्पताल में भर्ती थे। कुछ महीने से वो अस्पताल में थे और अंतिम दिनों में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
बंधुआ मुक्ति मोर्चा से जुड़े निर्मल गोराना ने बताया कि शुक्रवार की शाम पौने सात बजे दिल्ली के आईएलडीएस अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया।
उनके पार्थिव शरीर को जंतर-मंतर रोड स्थित कार्यालय पर 12 सितम्बर को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक श्रद्धांजलि के लिए रखा जाएगा। उनका अंतिम संस्कार 12 सितंबर को , शाम को 4 बजे, अग्निलोक आश्रम, बहलपा, जिला गुरुग्राम में संपन्न होगा।।
निर्मल गोराना ने अपने फ़ेसबुक पोस्ट में स्वामी अग्निवेश की मौत के लिए दो साल पहले 17 जुलाई को झारखंड में उन पर हमला करने वाले भारतीय जनता युवा मोर्चा के सदस्यों को ज़िम्मेदार ठहराया है।
स्वामी अग्निवेश भूमि अधिग्रहण के ख़िलाफ़ झारखंड के पाकुर में आयोजित एक सार्वजनिक में शामिल होने जा रहे थे, जिस समय उनपर हमला हुआ। उस समय उनको गंभीर अंदरूनी चोट पहुंची थी और तबसे ही उन्हें बार बार अस्पताल जाना पड़ रहा था।
हमले में बुरी तरह घायल हुए थे स्वामी अग्निवेश
उनसे जुड़े लोगों का कहना है कि लीवर इतना डैमज हो गया था कि डाक्टरों ने ट्रांसप्लांट किए जाने की सलाह दी थी, इसके लिए डोनर भी मिल गया था और तबियत ठीक होने का इंतज़ार था।
निर्मल गोराना के अनुसार, उस समय झारखंड में बीजेपी सरकार थी और उसने हमलावरों पर बहुत मामूली धाराएं लगाकर उन्हें बख़्श दिया। आज तक उनपर क्या कार्यवाही हुई कोई नहीं जानता।
एक महीने बाद 18 अगस्त 2018 को उन पर बीजेपी से जुड़े लोगों ने फिर हमला किया जब वो दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे।
21 सितंबर 1939 को जन्मे आर्यसमाजी स्वामी अग्निवेश सामाजिक मुद्दों पर मुखर राय रखने केलिए जाने जाते थे।
नोबेल जैसा सम्मानित ‘राइट लाइवलीहुड अवॉर्ड’ पा चुके स्वामी अग्निवेश हमेशा ही मज़दूरों, किसानों, ग़रीबों और अल्पसंख्यकों की आवाज़ बने रहे और जातिवाद और रुढ़िवाद के प्रखर आलोचना करते थे।
शायद यही कारण है कि लोगों का मानना है कि मोदी और अमित शाह की आँख की किरकिरी भी बने रहे।
कई गंभीर मामलों में थे मध्यस्थ
बीबीसी के अनुसार, 1939 में एक दक्षिण भारतीय परिवार में जन्मे स्वामी अग्निवेश शिक्षक और वकील रहे, मगर साथ ही उन्होंने एक टीवी कार्यक्रम के एंकर की भूमिका भी निभाई और रियलिटी टीवी शो बिग बॉस का भी हिस्सा रहे।
1970 में उन्होंने एक राजनीतिक दल ‘आर्य सभा’ की शुरुआत की थी और आपातकाल के बाद हरियाणा में बनी सरकार में वे मंत्री भी रहे।
बहुत कम लोगों को पता होगा कि अस्सी के दशक में उन्होंने दलितों के मंदिरों में प्रवेश देने के लिएआंदोलन चलाया था।
साल 2011 के अन्ना आंदोलन भी शामिल रहे लेकिन मतभेदों के चलते जल्द ही इससे दूर भी हो गए।
यूपीए की सरकार के दौरान कहा जाता है कि सरकार और माओवादियों के बीच वार्ताकार की भी भूमिका स्वामी अग्निवेश ने निभाई थी।
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