लॉकडाउन में प्रवासी मज़दूरों को बयां करती ये तस्वीर दानिश ने ली थी
ये तस्वीर भारत में पहली बार लगाए गए संपूर्ण लॉकडाउन में प्रवासी मज़दूरों के महा पलायन की प्रतीक बन चुकी है। इसे खींचने वाले फ़ोटोग्राफ़र थे दानिश। वे रायटर्स के लिए काम करते थे।
शुक्रवार को अफ़गानिस्तान में बिगड़ते हालात को कवर करते हुए उनकी मौत हो गई। बीते कुछ सालों में दानिश ने अपनी बेहतरीन फ़ोटोग्राफ़ी से दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं। पत्रकारिता के लिए सबसे प्रतिष्ठित माने जाने वाला पुलित्ज़र पुरस्कार भी उन्हें मिला।
दानिश अपनी मार्मिक तस्वीरों के लिए जाने जाते थे, जिनमें वो उन अत्याचारों और कठिनाइयों को कैद करते थे जो समाज के हाशिये पर रहने वालों को झेलनी पड़ती हैं।
भारत में समाचार एजेंसी रॉयटर्स की मल्टीमीडिया टीम का नेतृत्व करने वाले पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की गुरुवार की रात अफगानिस्तान के कंधार प्रांत के स्पिन बोलदाक इलाके में रिपोर्टिंग के दौरान मौत हो गई।
दानिश अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ अफगान विशेष बलों के अभियानों की रिपोर्ट करने के लिए उनके साथ दौरे पर थे।
तीन दिन पहले, फोटो पत्रकार ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में कंधार क्षेत्र से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद सरकारी सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच हिंसक संघर्ष को कवर करने के अपने ख़तरनाक अनुभव का वर्णन किया था।
घर पहुंचने के लिए मीलों पैदल चलने वाले हजारों प्रवासी कामगारों पर लॉकडाउन के विनाशकारी प्रभाव की उनकी तस्वीरें और भारत में कोरोनावायरस की घातक दूसरी लहर को कवर करने वाली उनकी तस्वीरों का व्यापक रूप से मीडिया प्रकाशनों में उपयोग किया गया था।
2018 में, सिद्दीकी ने अपनी टीम के अन्य लोगों के साथ रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर अपने काम के लिए पुलित्जर पुरस्कार जीता था। अपने हाल के कार्यों में, उन्होंने देशव्यापी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध और उत्तर पूर्वी दिल्ली में मुस्लिम समुदायों पर हिंसा को व्यापक रूप से कवर किया था।
ऐसे समय में जब भारत सरकार लगातार कोविड 19 से हुई मौतों की संख्या में हेराफेरी कर रही थी, दानिश की खींची गई अंतिम संस्कार की चिताओं की तस्वीरों और गंगा के किनारे भगवा कपड़े पहने शवों की ड्रोन छवियों ने भारत में कोरोना वायरस की सच्चाई को वैश्विक सुर्खियों में ला दिया था।
जब एबीसी न्यूज के एक रिपोर्टर के साथ कोविड 19 की क्रूर दूसरी लहर के दस्तावेजीकरण के लिए दानिश की प्रशंसा की गई, तो उन्होंने जवाब दिया था कि, ‘हमारे आसपास जो हो रहा है, उसका दस्तावेजीकरण करना हमारा कर्तव्य है।’
मौजूदा समय में जब मीडिया संस्थानों पर सरकारी दमन और दबाव, समाज की मौजूदा सच्चाई को उजागर करने से रोक रहा है, दानिश ने पत्रकारिता के उसूलों और मानकों को और ऊंचा उठाते हुए हमेशा राह दिखाने वाली जनपक्षीय पत्रकारिता की। दानिश सिद्दीकी की असामयिक मौत जनपक्षीय पत्रकारिता के लिए बड़ा नुकसान है।
मेहनतकश से साभार। फोटो साभार रायटर्स
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