मजदूरों के बारे में अफसरों का ये नजरिया योगी सरकार के रवैये का जमीनी सच है

मजदूरों के बारे में अफसरों का ये नजरिया योगी सरकार के रवैये का जमीनी सच है

मुख्य धारा की मीडिया, खासतौर पर हिंदी मीडिया तो सच को छुपाने में मशगूल है, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए अनगिनत तस्वीरें और वीडियो लगातार सामने आ रहे हैं, जिनमें श्रमिकों के साथ गुलामी काल जैसा हाल नजर आता है। दिल दहलाने वाली इन तस्वीरों और किस्सों से हर संवेदनशील शख्स हूक भर रहा है।

अलबत्ता, सरकारी मशीनरी औपचारिकता निभाने के साथ ही अपने क्रूर बर्ताव का लगातार प्रदर्शन कर रही है। ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है, क्योंकि सरकार का नजरिया ही श्रमिकों के प्रति मालिकानों जैसा है।

सूटकेस पर थकान से चूर बच्चे को खींचकर ले जाती मां की तस्वीर खूब वायरल हुई, जिसको लेकर हर रहमदिल परेशान हो बैठा। वहीं, उत्तरप्रदेश में आगरा के डीएम ने शुक्रवार को इस वाकये को सामान्य करार दे दिया। कहा कि ऐसा तो बचपन में हम लोग भी करते थे। इस बयान में आनंद के क्षण और तकलीफ से जूझते हुए लोगों की मुसीबत के फर्क को मिटाने की असंवेदनशीलता जाहिर की।

ऐसा आगरा में ही नहीं यूपी के ही जिले बरेली में भी हुआ। यहां पैदल जाने वाले मजदूरों को बैठाकर केमिकल से बारिश की गई। ये मामला सुर्खियों में आया तो बरेली के डीएम ने ये तक ट्वीट किया कि ऐसा तो तमाम अन्य देशों में भी हो रहा है, जबकि इस तरह की घटना का कोई उदाहरण वे पेश नहीं कर पाए।

बरेली में ही हाल ही में श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आने वाले भूखे-प्यासे मजदूरों को रूखी खिचड़ी के पैकेट दे दिए गए, जो उनके हलक में उतरना मुश्किल हो गया तो पैकेट फेंककर घर की ओर रवाना हो गए। बात यहीं नहीं रुकती। लॉकडाउन का पालन करा रही पुलिस धड़ल्ले से वाहनों के चालान काटने में जुटी है।

बरेली में बच्चे की दवा लेने निकली दंपति आंसू बहाती रही, लेकिन खाकी का दिल नहीं पसीजा। यही नहीं, बुलंदशहर के गुड्डू पंडित को थानेदार ने इस बात का नोटिस भेज दिया कि वे पैदल जा रहे प्रवासी मजदूरों को खाना या पानी क्यों मुहैया करा रहे हैं, इससे कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन हो रहा है।

इस गतिविधि को न रोकने पर महामारी अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दे दी गई। ऐसे तमाम घटनाक्रम लगातार सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। कहीं पुलिस मजदूरों को पीट रही है, लात मार रही है, कहीं सब्जी के ठेले पलट रही है। वहीं, सरकार की तरफ से सख्ती से लॉकडाउन का पालन कराने का ऐलान हो रहा है। सरकार का ये रवैया ही संवेदनहीनता की कहानियां रच रहे हैं।

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ashish saxena