आईफ़ोन मेकर कंपनी में हज़ारों वर्करों का गुस्सा फूटा, 149 गिरफ़्तार, 7000 पर मुकदमा
लॉकडाउन के बाद बड़े पैमाने पर सैलरी में कटौती को लेकर आखिर बैंगलुरु के पास स्थित आई फ़ोन बनाने वाली कंपनी में वर्करों का गुस्सा फूट पड़ा।
बीते रविवार की सुबह पांच बजे कोलार जिले के नरसापुरा औद्योगिक क्षेत्र में आईफोन बनाने वाली कंपनी विस्ट्रॉन कारपोरेशन के वर्करों का प्रर्शन हिंसक हो गया।
तोड़फोड़ और आगजनी के बाद पुलिस ने 149 वर्करों को गिरफ़्तार कर लिया है जबकि 7,000 वर्करों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
कंपनी ने इस घटना में 437 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा किया है। घटना की जांच प्रशासन के जिम्मे कर दिया गया है।
बीजेपी नेता और कर्नाटक के लेबर मिनिस्टर शिवराम हेब्बर ने कहा है कि ‘इस तरह की घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होने दावा किया है कि सैलरी नान पेमेंट की एक भी शिकायत लेबर डिपार्टमेंट को नहीं मिली।’
उधर ट्रेड यूनियनों ने सैलरी कटौती पर मैनेजमेंट की चुप्पी को आपराधिक करार दिया है और निर्दोष वर्करों को मुकदमे में फंसाने की निंदा की है। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि सरकार इसके लिए ज़िम्मेदार है क्योंकि उसने कंपनियों को लूट की पूरी छूट दे रखी है।
इकोनामिक टाइम्स के मुताबिक 22,000 करोड़ की लागत से बनाए गए इस प्लांट में कुल 12,000 वर्कर काम करते हैं। इसके अलावा बैंगलुरु में भी इसका एक प्लांट जहां 2,000 वर्कर काम करते हैं।
उल्लेखनीय है कि कंपनी यहां अपने वर्करों की संख्या बढ़ा कर 25,000 करने वाली थी।
दो साल पहले नोएडा के सेक्टर 62 में ओप्पो, मी आदि फ़ोन को असेंबल करने वाली हाईपैड कंपनी के अदंर भी वर्करों का गुस्सा फूटा था। (वीडियो नीचे देखें।)
मेहनत की लूट कंपनी को महंगी पड़ी
स्थानीय मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, लॉकडाउन के बाद से ही कंपनी में सैलरी कटौती की जा रही थी और वो भी समय पर नहीं मिल रही थी, जिससे मज़दूरों में भारी गुस्सा था।
सैलरी कटौती इतनी ज़्यादा थी कि वर्कर अपना खर्च चलाने में मुश्किलों का सामना कर रहे थे। कुछ वर्करों ने बताया कि उनकी सैलरी पांच हज़ार से लेकर 10 हज़ार रुपये तक कम कर दी गई।
समस्या यही नहीं थी, बल्कि मैनेजमेंट ने सैलरी घटाने के अलावा काम के घंटे भी बढ़ा दिए थे और 12 -12 घंटे काम कराया जा रहा था।
औसतन हर वर्कर की सैलरी क़रीब क़रीब आधी कर दी गई थी, जिसके बारे में मैनेजमेंट कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा था।
शुक्रवार को वर्करों ने इस बारे में एकजुट होकर मैनेजमेंट के सामने बात रखी, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।
इसके बाद शनिवार की रात्रि पाली में आए वर्करों ने रविवार की सुबह पांच बजे कंपनी के अंदर ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।
विस्ट्रान कारपोरेशन कंपी ऐपल, लेनोवो, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के लिए कंपोनेंट बनाती है।
बैंगलोर मिरर अख़बार के अनुसार, वर्करों के वेतन में लगभग आधे की कटौती की गई थी।
आम तौर पर एक इंजिनियरिंग स्नातक को 21,000 रु. सैलरी पर रखा गया था लेकिन लॉकडाउन के बाद उसमें 5,000 रु. की कटौती कर दी गई।
लेकिन मैनेजमेंट की मनमानी और उत्पीड़न यहीं नहीं रुका, बल्कि उसकी सैलरी को 4,000 रुपये और कम कर दी गई और अब उसके हाथ में 12,000 रु. ही आने लगे।
यही हाल बिना इंजीनियरिंग किए वर्करों की सैलरी में आठ हज़ार रुपये की कटौती कर दी गई।
ताईवान की कंपनी विस्ट्रॉन का प्लांट 44 एकड़ में है जिसमें क़रीब 12,000 वर्कर काम करते हैं। ज़्यादातर की नौकरी ठेके पर लगी हुई है और कंपनी में कोई यूनियन नहीं है।
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