श्रम कार्यालय में रोने लगे यूनियन के पदाधिकारी, प्रबंधन अपने जिद पर अड़ा

श्रम कार्यालय में रोने लगे यूनियन के पदाधिकारी, प्रबंधन अपने जिद पर अड़ा

बहरोड़ औद्योगिक क्षेत्र फेज-2 स्थित ऑटोनियम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों की मनमानी गुरुवार को भी जारी रही।

फैक्ट्री प्रबंधन ने तीसरे दिन भी 32 कर्मचारियों के लिए गेट बंद रखा और उन्हें काम करने के लिए अंदर नहीं आने दिया गया। रोजगार छीनने से आहत कर्मचारियों ने गुरुवार को एसडीएम संतोष मीणा को ज्ञापन देकर रोजगार पर लौटने और प्रबंधन से वार्ता कर समस्या का समाधान करवाने की मांग की।

एसडीएम को श्रमिकों ने बताया कि ऑटोनियम कर्मचारी एकता यूनियन (सीटू) के उपाध्यक्ष जितेंद्र प्रसाद को फैक्ट्री प्रबंधन के द्वारा 1 मार्च को कार्य पर नहीं लेकर तंग एवं परेशान किया गया।प्रबंधन के सख्त रवैया एवं प्रताड़ना से पीड़ित होकर उसने आत्मदाह करने का प्रयास किया था।

यूनियन के सभी कर्मचारी 1 मार्च को लगातार काम पर लगे रहे ज्ञापन में श्रमिकों ने फैक्ट्री जीएम आशीष कॉल एचआर मैनेजर नेहा शर्मा सहित अन्य अधिकारियों के द्वारा श्रमिकों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया।

जितेंद्र यादव ने बताया कि शुरू से ही फैक्ट्री प्रबंधन के द्वारा श्रमिकों को प्रताड़ित करने का काम किया जा रहा था। जिसके लिए यूनियन बनाई और 12 दिसंबर 2019 को रजिस्टर्ड करवाया।

जिस की जानकारी फैक्ट्री प्रबंधन को लगी तो उन्होंने श्रमिकों को फैक्ट्री में प्रोडक्शन कम कर मज़दूरों को काम न होने के नाम पर निकालना शुरू कर दिया।

जिसका यूनियन ने विरोध किया और दिसंबर 2019 में धरना दिया। लेकिन प्रबंधन ने 50 श्रमिकों की छंटनी कर उन्हें बेरोजगार कर दिया।

यूनियन के महासचिव सोनू यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि यूनियन अध्यक्ष जितेंद्र यादव ने 5 पदाधिकारियों को सुरक्षित कर्मकार घोषित करने के लिए पत्र फैक्ट्री प्रबंधन को दिया था।

जिसके बाद से फैक्ट्री प्रबंधन ने श्रमिकों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। जिस का विरोध किया गया तो जितेंद्र यादव का तबादला आंध्रप्रदेश कर उनका गेट बंद कर दिया। यूनियन के अध्यक्ष जितेंद्र यादव पिछले 25 साल से इसी जगह कार्यरत है। वहां के वेयरहाउस का फैक्ट्री प्रबंधन से कोई लेना देना नहीं है।

जब इसकी आवाज यूनियन के उपाध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद ने उठाई तो उनका भी ट्रांसफर कर गेट बंद कर दिया,जिसके बाद उन्होंने आत्महत्या का प्रयास किया। अब प्रबंधन ने सभी 32 श्रमिकों का 3 दिन से गेट बंद  कर दिया है।

श्रम निरीक्षक, राकेश चौधरी ने इस पूरे मामले पर कहा कि ” ऑटोनियम फैक्ट्री का मामला मेरी जानकारी में है। स्थानीय प्रशासन-पुलिस और फैक्ट्री मैनेजमेंट तथा श्रमिकों के बीच वार्ता चल रही है श्रमिकों का अहित नहीं होने दिया जाएगा और फैक्टरी की संपत्ति को भी नुकसान नहीं होने देंगे।”

वही बहरोड़ के एसडीएम संतोष मीणा का कहना है कि “हम दोनों पक्षों से बात कर रहे हैं। दोनों ही पक्षों को कोई बीच का रास्ता निकालना होगा। मजदूरों का रोजगार छिनने नहीं दिया जाएगा। आपसी संवाद से ही विवाद दूर होगा। फैक्ट्री के जीएम आशीष कौल ने भी वार्ता की है मजदूरों की जायज मांगों को मानने के लिए कहा गया है,कानून व्यवस्था किसी भी सूरत में नहीं बिगड़ने दी जाएगी।”

मज़दूरों का कहना है कि वो कंपनी के इस मनमानी से झुकने वाले नहीं हैं।

लॉकडाउन के बाद से ही लगभग सभी कंपनियों में मज़दूरों के प्रति प्रबंधन का रवैया पूरी तरह से बदलता जा रहा है। विभिन्न प्रकार के दबाव बना कर मज़दूरों से ज्यादा काम लेने की कोशिश की जा रही हैं।

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Abhinav Kumar

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