EPFO ने रोकी मज़दूरों की न्यूनतम पेंशन दोगुनी करने की योजना, आदर्श आचार संहिता का दिया हवाला
(Mar 29, 2019)
आचार संहिता का हवाला देते हुए एम्प्लाई प्रोविडेंट फंड आर्गेनाइजेशन (ईपीएफ़ओ) ने मज़दूरों के पेंशन को दोगुना करने की योजना पर रोक लगा दी है।
लाईव मिंट की एक ख़बर के अनुसार, श्रम मंत्रालय ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के चलते आदर्श आचार संहिता लगी हुई है।
इसलिए मंत्रालय अतिरिक्त फंड के लिए अपील नहीं कर सकता है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के लिए 3,000 रुपये प्रति माह का न्यूनतम पेंशन देने का वादा किया था।
इसके लिए पूरे प्रचार के साथ प्रधान मंत्री श्रम योगी मानधन योजना की घोषणा भी की गई।
इसके तहत 18-40 साल की उम्र के कामगार को 55 से 200 रुपये प्रति माह जमा कराने होंगे।
इसके लिए बजट में 500 करोड़ रुपये आवंटित भी किए गए थे।
- ये भी पढ़ेंः लाखों लोगों के पीएफ-पेंशन खातों के 20 हजार करोड़ डूबने के कगार पर
- ये भी पढ़ेंः “जेटली जी! न्यू पेंशन स्कीम इतनी ही बढ़िया है तो अपने ऊपर क्यों नहीं लागू करते?
मंत्रिमंडल की जानकारी में था मामला
लेकिन घोषणा के बाद जब पेंशन बढ़ाने की बारी आई तो केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने ही इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।
ईपीएफ़ओ की योजना के अनुसार 60 लाख पेंशनरों में 45 लाख को 2000 रुपये से भी कम न्यूनतम पेंशन मिलती है।
न्यूनतम पेंशन को मौजूदा 1000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 2,000 रुपये किया जाने का फैसला हुआ था।
ईपीएफ़ की एक कमेटी ने पेंशन को दोगुना करने का सुझाव दिया था।
इस पर मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट नोट भी तैयार किया गया लेकिन सुझाव को सार्वजनिक नहीं किया गया।
मनी कंट्रोल ने एक अधिकारी के हवाले से बताया, “इस पर अभी रोक लग गई है। हम इस पर अपने कदम नहीं बढ़ा सकते क्योंकि आर्थिक रूप से ये हमारे लिए भार बढ़ जाएगा।”
जनवरी में मांगी थी मंज़ूरी
हालांकि पेंशन वृद्धि से अतिरिक्त 1,500 करोड़ रुपये की ज़रूरत पड़ेगी, लेकिन श्रम मंत्रालय ने हाथ खड़े कर दिए हैं।
लाईव मिंट के मुताबिक, 2018-19 के लिए बीती फ़रवरी में ईपीएफ़ओ ने अपने छह करोड़ सदस्यों के लिए ब्याज़ दर को 8.65 प्रतिशत करने की घोषणा की थी।
जबकि रिटायरमेंट फंड में अतिरिक्त क़रीब 150 करोड़ रुपये की धनराशि होने की संभावना है।
अख़बार ने एक अधिकारी के हवाले से बताया कि ईपीएफ़ओ ने पेंशन वृद्धि को लेकर जनवरी में ही सरकार से मंज़ूरी मांगी थी।
लेकिन उस समय सरकार ने कान नहीं दिया और ये भी नहीं बताया कि वो फंड मुहैया कराएगी या नहीं।
- ये भी पढ़ेंः ‘पेंशन हमारे बुढ़ापे की दवाई, बच्चों की पढ़ाई और हमारी बहनों के लिए रक्षाबंधन की बधाई है मोदी जी!’
- ये भी पढ़ेंः वाह! मोदी जी वाह! 46 करोड़ मज़दूरों के पेंशन के लिए 500 करोड़ रु. और गाय बचाने के लिए 750 करोड़ रुपये?
आचार संहिता केवल मज़दूरों के लिए है?
और अब मंत्रालय आदर्श आचार संहिता की बात कर रहा है।
ईपीएफ़ओ की पिछली बैठक में फैसला हुआ था कि जल्द ही अगली बैठक बुलाकर उसमें पेंशन वृद्धि की घोषणा की जाएगी लेकिन अब ये मीटिंग चुनाव तक टल गई है।
सेंट्रल ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) के सेक्रेटरी एआर सिंधू कहते हैं कि चुनाव से पहले अगर सरकार वोटरों को लुभाने के लिए ढेरों घोषणाएं करती है तो श्रमिकों की पेंशन बढ़ाने में उसे क्या दिक्कत है।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं।)