नया लेबर कोड क्यों हैं घातक?: 1 अप्रैल से कैसे बंधुआ हो जाएगा मज़दूर- भाग:4
ठेकेदारों की मौज
व्यावसायिक और सामाजिक सुरक्षा कोड में ठेका मज़दूर को शामिल किया गया है। इस संहिता के अनुसार 49 मज़दूर रखने वाले किसी भी ठेकेदार को श्रम विभाग में अपना पंजीकरण कराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
व्यावसायिक सुरक्षा कोड के नियम 70 के अनुसार यदि ठेकेदार किसी मज़दूर को न्यूनतम मज़दूरी देने में विफल रहता है तो श्रम विभाग के अधिकारी नियम 76 में जमा ठेकेदार के सुरक्षा जमा से मज़दूरी का भुगतान करायेंगे।
यह धोखा है। क्योंकि ठेकेदार की जमा सुरक्षा राशि बेहद मामूली है- 50 से 100 मज़दूरों पर 1000 रुपया, 101 से 300 मज़दूरों पर 2000 रुपया और 301 से 500 मज़दूरों पर 3000 रुपया। इस जमा राशि से किस मज़दूर का कितना पैसा मिलेगा, मज़दूर साथी खुद समझ सकते हैं।
कोड और उसकी नियमावली मज़दूरी भुगतान में मुख्य नियोजक की पूर्व में तय जिम्मेदारी से मुक्त कर देती है और स्थायी कार्य में ठेका मज़दूरी के कार्य को प्रतिबंधित करने के प्रावधानों को ही खत्म कर लूट की खुली छूट देती है।
स्कीम वर्कर, नीम ट्रेनी कामगार नहीं
इन संहिताओं में स्कीम मज़दूरों जैसे आशा, आगंनबाडी, भोजन माता, रोजगार सेवक, मनरेगा कर्मचारी, हेल्पलाइन वर्कर आदि को शामिल नहीं किया गया। साथ ही घरेलू सेवा के कार्य करने वाले मज़दूरों को औद्योगिक सम्बंध संहिता से ही बाहर कर दिया गया है।
स्कीम वर्कर की अन्य श्रेणी जैसे अमेजन, फिलिप कार्ड, जोमैटो आदि वर्कर, खुदरा व्यापार आदि विभिन्न तरह के रोजगार में लगे श्रमिकों का उल्लेख इन कोड में नहीं है। परिभाषा में लिखा है कि इनके मालिक और श्रमिकों के बीच परम्परागत मज़दूर-मालिक सम्बंध नहीं है।
स्किल डेवलपमेण्ट के लिए रखे जाने वाले मज़दूर- नीम ट्रेनी सारा काम करने के बावजूद कर्मकार की परिभाषा में नहीं आयेंगे। लेकिन फिक्स टर्म श्रमिक, गिग श्रमिक और प्लेटफार्म श्रमिक आदि इस दायरे में आए हैं।
मंत्रालय द्वारा जून 2021 तक एक वेब पोर्टल शुरू करने की भी बात कही जा रही है, जिसमें जिग व प्लेटफॉर्म वर्कर्स और माइग्रेंट वर्कर्स समेत अनऑर्गेजनाइज्ड सेक्टर के कामगारों का रजिस्ट्रेशन होगा।
क्या है फिक्स्ड टर्म, प्लेटफ़ॉर्म या गिग श्रमिक
फिक्स्ड टर्म का मतलब स्थाई की जगह एक नियत अवधि के लिए नियुक्ति। प्लेटफार्म श्रमिक वह है जो इंटरनेट ऑनलाइन सेवा प्लेटफार्म पर काम करते हैं। गिग कर्मचारी वह है जो बाजार अर्थव्यवस्था में अंशकालिक स्वरोजगार या अस्थाई संविदा पर काम करते हैं।
प्रवासी मज़दूरों के साथ धोखा
असंगठित क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा, जिनमें प्रवासी मज़दूर भी शामिल हैं, के साथ ही स्व-रोजगार नियोजित श्रमिकों, घर पर काम करने वाले श्रमिकों और अन्य कमजोर समूहों को सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान बेहद कमजोर किया गया है।
व्यावसायिक सुरक्षा कोड की धारा 61 के अनुपालन के लिए बने नियम 85 के अनुसार प्रवासी मज़दूर को साल में 180 दिन काम करने पर ही मालिक या ठेकेदार द्वारा आवागमन का किराया दिया जायेगा।
नई गुलामी के ख़िलाफ आर-पार के संघर्ष में जुटना होगा
कुल मिलाकर मोदी सरकार द्वारा ‘ईज आफ डूयिंग बिजनेस’ के लिए लायी गयीं मौजूदा लेबर कोड मज़दूरों की गुलामी के दस्तावेज हैं।
इस नये गुलामी के दौर में मोदी अंधभक्ति कितनी चलेगी, उसपर चर्चा बेकार है। लेकिन यह तय है कि अब जब ना कोई क़ानूनी सुरक्षा रहेगी, ना ही नौकरी की गारण्टी, तो निश्चित ही संघर्ष जमीनी और आर-पार का होगा।
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( मेहनतकश की खब़र से साभार)
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