केंद्र सरकार के विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के निजीकरण के फैसले के खिलाफ मज़दूरों का आंदोलन तेज,NH-16 को किया ब्लॉक
केंद्र सरकार द्वारा विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र के नाम से विख्यात राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के निजीकरण की कवायद शुरू होने के साथ ही श्रमिकों और राजनीतिक दलों ने प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ अगले तीन सप्ताह तक चलने वाले आंदोलन को तेज कर दिया है।
शुक्रवार को हजारों स्टील प्लांट के श्रमिकों ने राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-16) को अवरुद्ध कर बंदरगाह शहर में “रास्ता रोको” का आयोजन किया और मांग की कि केंद्र इस्पात संयंत्र के निजीकरण के कदम को छोड़ दे ।
“विशाखा उक्कू-अंधरुला हक्कू” (विशाखापत्तनम स्टील संयंत्र आंध्र के लोगों का अधिकार है) के नारे लगाते हुए, श्रमिकों ने कुर्मनपालेम जंक्शन पर राजमार्ग पर बैठ कर इस्पात संयंत्र के मुख्य प्रवेश द्वार को जाम कर दिया।
सुबह 11 बजे से दोपहर दो बजे के बीच तीन घंटे से अधिक समय तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों का आवागमन ठप रहा।
विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के प्रमुख ट्रेड यूनियन सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआईटीयू) के अध्यक्ष जे अयोध्या रामू ने कहा, हमारे साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए श्रीकाकुलम, विजयनगरम और कृष्णा जिलों में विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा इसी तरह के विरोध प्रदर्शन किए गए ।
5 मार्च को विशाखापत्तनम बंद का आह्वान
श्रमिक संगठनों ने इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन तेज करते हुए पांच मार्च को विशाखापत्तनम बंद करने का आह्वान किया हैं।
रामू ने बताया कि “स्टील प्लांट के निजीकरण को लेकर केंद्र द्वारा की गई घोषणा के बाद भी पिछले 25 दिनों में स्टील प्लांट ने 1600 करोड़ रुपये का कारोबार हासिल किया है।और आगे भी हमें 20,000 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार हासिल करने का भरोसा है।”
उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि “आखिर सरकार इस सोने के हंस को क्यों मारना चाहती?”
स्टील प्लांट के मजदूरों के लगातार विरोध को नजरअंदाज करते हुए केंद्र ने स्टील प्लांट में विनिवेश की कवायद शुरू कर दी है।
ट्रेड यूनियन के नेता ने कहा, ‘हमें मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्र ने हाल ही में एक अंतर-मंत्रालयी समूह बनाया है जिसमें इस्पात, वित्त, उद्योग और भाजपा से जुड़े (निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग) के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं ताकि विनिवेश के तौर-तरीकों पर काम किया जा सके।’
इस समिति में आरआईएनएल के अध्यक्ष और निदेशक (वित्त) भी शामिल हैं, जो मशीनरी और भूमि के मूल्य सहित कंपनी की परिसंपत्तियों और देनदारियों का आकलन करेंगे और निजी बोलीदाताओं को आमंत्रित करने से पहले बोली दस्तावेज तैयार करने के लिए केंद्र को विवरण प्रस्तुत करेंगे ।
मीडिया को जारी बयान में भाकपा (माओवादी) आंध्र-ओडिशा सीमा विशेष जोनल कमेटी के आधिकारिक प्रवक्ता कैलाशम ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार अंबानी और अडानी के नेतृत्व वाली कॉर्पोरेट ताकतों के सामने राष्ट्र की संप्रभुता को पूरी तरह से सरेंडर कर देना चाहती है।
(हिंदुस्तान टाइम्स की खबर से साभार)
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