1257 वर्करों ने महामारी के दौर में छीनी गई नौकरी लड़कर वापस पाई,कंपनी ने अपना हक मांगने पर निकाल दिया था महिला वर्करों को
श्रीरंगपटना, कर्नाटक के गोकलदास एक्सपोर्ट में काम करने वाली 1257 महिला वर्करों ने कोरोना काल में छीनी गई उनकी नौकरी अपने जुझारूपन और हार न मानने की जिद के चलते आठ महीने बाद वापस पा ली है।
खास बात यह है कि नौकरी पर बहाली के साथ ही उनकी यूनियन को भी दोबारा मान्यता दी गई हैै।
इस लड़ाई में द न्यू ट्रेड यूनियन इनीशिएटिव, एनटीयूआई ने वर्करों का साथ दिया। उनकी गारमेंट एक टेक्स्टाइल वर्कर यूनियन यानी जीएटीडब्ल्यूयू, एनटीयूआई से जुडी हुई हैैै।
गारमेंट एंड टेक्सटाइल क्षेत्र में काम करने वाली इन वर्करों को गोकलदास एक्सपोर्ट प्रबंधन के एक कदम का विरोध करने पर पिछले साल आठ जून को गैरकानूनी तरीके से नौकरी से निकाल दिया गया था।
गोकलदास एक्सपोर्ट कंपनी, कपडों के बडे ब्रांड एच एंड एम के लिए काम करती है। एच एंड एम, कामकाजी लोगों के लिए काम करने वाली वैश्विक संस्था इंडस्ट्रीअल के नियमों का पालन करती है।
वर्करों की मांग थी कि एच एंड एम की अपने वर्करों के लिए जो वैश्विक नीतियां हैं, उनमें उन्हें भी शामिल किया जाए।
उनकी मांग मानने की बजाय गोकलदास एक्सपोर्ट ने न केवल उन्हें हतोत्साहित किया, बल्कि उनकी यूनियन को भी भंग कर दिया।
हालांकि एच एंड एम इस पर राजी था कि गोकलदास एक्सपोर्ट वर्करों की बात सुनकर उनके हित में फैसला ले। दूसरी ओर राज्य सरकार इस मामले में पड़ना नहीं चाहती थी।
गोकलदास एक्सपोर्ट प्रबंधन ने मजदूरों के हौसले और उनकी यूनियन को तोड़ने के लिए गांवों में उनके घरों तक जाकर अलग -अलग उनसे मुलाकात की और आंदोलन वापस लेने को कहा।
केवल न्यूनतम वेतन पाने वाली इन वर्करों को लाॅकडाउन के शुरूआती चार महीनों का वेतन भी नहीं दिया गया था।
एनटीयूआई, इस लड़ाई में वर्करों का साथ दे रही थी और मांग कर रही थी कि गोकलदास एक्सपोर्ट, इंडस्ट्रीऑल के नियम कानूनों को माने।
आखिकार वर्करों की लडाई रंग लाई और इंडस्ट्रीऑल के लगातार दबाव में एच एंड एम ने गोकलदास एक्सपोर्ट को वर्करों की मांगे मानने को कहा।
इसके बाद कंपनी ने वर्करों की वापसी के साथ ही उनकी यूनियन बहाली के लिए उनसे समझौता किया।
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