गुजरात के सूरत में एक फिर मज़दूरों का गुस्सा फूट पड़ा और कोरोना के समय में घर भेजने की बजाय काम कराने को लेकर मज़दूर उबल पड़े।
खाजोड़ में तैयार की जा रही एशिया की सबसे बड़ी डायमंड बोर्स कंपनी में काम कर रहे मजदूरों ने जमकर अपना आक्रोश जताया और प्रबंधन की गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया।
लॉकडाउन के बावजूद काम लिए जाने से मजदूरों में खासा गुस्सा है और किसी बात पर शुरू हुआ विवाद आखिर हिंसक हो गया।
मगजदूरों ने बोर्स के कार्यालय पर पथराव और तोड़फोड़ कर दिया। मजदूरों ने आरोप लगाया कि उन्हें खाना नहीं मिल पा रहा है। मजदूरों ने कहा कि उन्हें घर भेज दिया जाए।
यहां पर करीब 4000 मजदूर काम कर रहे हैं। पुलिस पहुंचने के बाद मज़दूर वहीं धरने पर बैठ गए।
इसके पहले भी सूरत में प्रवासी मजदूर खाना न मिलने की शिकायत को लेकर हंगामा कर चुके हैं और पुलिस ने बड़े पैमानेे पर मज़दूरों को गिरफ़्तार किया था।
मजदूरों का आरोप था कि उन्हें पर्याप्त खाना नहीं मिल रहा है। कोरोनावायरस संकट के दौरान वे यहां असुरक्षित हैं।
डायमंड बोर्स में मजदूरों का हंगामा देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। मजदूरों को वापस घर भेजने के लिए पुलिस ने प्रशासन से सहयोग मांगा है।
इनमें से ज्यादातर मजदूर यूपी-बिहार से हैं। राज्य सरकार की मदद से ही इन मजदूरों को वापस घर भेजा जा सकता है।
यूपी सरकार ने बाहरी राज्यों में फंसे मज़दूरों को अपने यहां लाने की व्यवस्था करने की घोषणा की है लेकिन मोदी सरकार के मंत्री अमित शाह और गडकरी इसे ग़लत बता रहे हैं।
उधर ओडिशा सरकार ने अपने मज़दूरों को गुजरात से वापस लाने की बात कर चुकी है और पहले चरण में बसों से उन्हें ओडिशा लाया जाएगा।
जैसे जैसे तीन मई का दिन क़रीब आ रहा है, बाहर फंसे प्रवासी मज़दूरों का गुस्सा बढ़ रहा है और उनका सब्र जवाब दे रहा है।
उनका कहना है कि अगर सरकार तीन मई के बाद भी लॉकडाउन बढ़ाती है तो वो नहीं रुकेंगे और घर की ओर पैदल ही चल देंगे।
अगर सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है तो एक और मानवीय त्रासदी शुरू हो सकती है।
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