13 दिनों से कंपनी गेट पर धरना दे रहे मज़दूरों ने दी बड़े आंदोलन की चेतावनी, मैनेजमेंट अपने अड़ियल रुख पर कायम

13 दिनों से कंपनी गेट पर धरना दे रहे मज़दूरों ने दी बड़े आंदोलन की चेतावनी, मैनेजमेंट अपने अड़ियल रुख पर कायम

बहरोड़ फेज़-2 स्थित आटोनियम इंडिया के गेट पर प्रदर्शन कर रहे 33 मज़दूरों के लिए कंपनी का गेट सोमवार को भी नही खोला गया।

कम्पनी गेट पर धरना दे रहे मज़दूरों ने बताया कि कम्पनी का कोई भी अधिकारी श्रमिकों की सुध नही ले रहा है। यहां तक कि मज़दूरों की समस्याओं का समाधान करने के लिए बनाए गए  श्रम विभाग भी हमारी बातों को नही सुन रहा हैं।

मज़दूरों का का कहना है कि प्रशासनिक एवं श्रम विभाग के आला अधिकारी भी कम्पनी मैनेजमेंट के आगे नतमस्तक हैं।

आपको बताते चले कि इससे पहले एसडीएम संतोष मीणा और डीएसपी देशराज ने श्रमिकों की समस्या को सुनकर प्रबंधन के साथ वार्ता की थी लेकिन कम्पनी प्रबंधन अपने अड़ियल रुख पर कायम है।

एसडीएम ने श्रम विभाग को श्रमिकों की समस्याओं का निपटारा करने का निर्देश दिया जिसके बाद शनिवार को श्रम निरीक्षक राकेश चौधरी और समझौता अधिकारी सुनील यादव  मज़दूरों से मिलकर फैक्ट्री मैनेजमेंट से मिले, लेकिन उसके बाद भी कोई हल नही निकला तो बैरंग लौट गए।

श्रमिकों ने कहा कि पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों का आदेश है कि वह अपनी विभिन्न मांगों को शांतिपूर्वक तरीके से मांगे। ऐसा कोई भी उपद्रव न करे जिससे कानून व्यवस्था बिगड़े। लेकिन पिछले 13 दिनों से चिलचिलाती धूप में बैठ कर धरना दे रहे श्रमिकों के परिवार की तरफ किसी का कोई ध्यान नही।

मज़दूरों ने बताया कि मैनेजमेंट ये सब सिर्फ यूनियन को तोड़ने के लिए कर रहा है। प्रबंधन नही चाहता कि मज़दूर एकजुट होकर अपने अधिकारों की मांग कर सके।

इससे पहले यूनियन अध्यक्ष जितेंद्र यादव का ट्रांसफर मैनेजमेंट ने बिना किसी वजह के कर दिया था। कम्पनी की प्रताड़ना से तंग होकर उन्होंने आत्महत्या की भी कोशिश की जिसके बाद मज़दूरों ने हड़ताल कर दिया था।

कम्पनी ने फिलहाल 31 मज़दूरों के लिए गेट 2 मार्च से ही बंद कर दिए हैं। इसी बीच कम्पनी ने  4 मज़दूरों को टर्मिनेट कर उनके खातों में पैसे डाल दिये हैं औ 10 श्रमिकों को सस्पेंड कर दिया है।

पिछले एक सप्ताह से लगातार जीएम आशीष कौल, एचआर हेड नेहा शर्मा से फोन कॉल कर के मैनेजमेंट का पक्ष जानने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन कम्पनी का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी वार्ता कर अपना पक्ष रखने के लिए तैयार नही है।

ऐसे में यही मतलब निकलता है कि प्रबंधन अपनी खामियां बाहर नही आने देना चाहता।

वही धरने पर बैठे मज़दूरों का कहना है कि उनका सब्र अब जवाब दे रहा है और मज़दूर एक बड़ा आंदोलन कर सकते हैं।

( दैनिक भास्कर की खबर से साभार)

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Abhinav Kumar

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