लाॅकडाउन में फंसे गुड़गांव के मजदूरों को रहने-खाने के पड़ रहे लाले
हरियाणा में लाॅकडाउन लगने से गुड़गांव और मानेसर के औद्योगिक इलाक़ों में फंसे हजारों प्रवासी मजदूर आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। हालांकि लॉकडाउन से पहले ही काफ़ी मज़दूर घर जा चुके हैं लेकिन जो रुके हैं उनके लिए कोरोना से बचने से ज़्यादा भुखमरी से बचने की चुनौती ज़्यादा है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक ख़बर के मुताबिक, यहां आजकल न इंडस्ट्रीज में काम हो रहा है और न ही निर्माणाधीन साइटों पर, जिसके चलते मजदूर भी खाली बैठे हैं।
पगार न मिलने से मजदूर न तो किराया चुका पा रहे हैं और न ही ज़रूरत का सामान ले पा रहे हैं। वे बस उम्मीद पर दिन काट रहे हैं कि लाॅकडाउन जल्दी खत्म हो।
लोकल ट्रेड यूनियनों और इंडस्ट्रियल एसोसिएशनों की मानें तो तीन मई को राज्य में लगाए गए लाॅकडाउन से एक लाख से ज्यादा मजदूर प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने चेताया है कि अगर जल्दी ही उनकी स्थिति पर गौर नहीं किया गया तो वे पिछले साल की तरह अपने गांव लौटने को मजबूर होंगे।
लाॅकडाउन से गुड़गांव में छोटी निर्माणाधीन साइटों पर काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
जबकि मानेसर और उद्योग विहार में छोटी ऑटो कंपनियों और कपड़ों के आयात की यूनिटों में काम करने वाले मजदूरों पर असर पड़ा है।
हीरो मोटोकार्प और मारूति सुजुकी जैसी बड़ी कंपनियों में शटडाउन का असर छोटी कंपनियों पर भी पड़ा है और उन्होंने अपना उत्पादन कम कर दिया है।
गुड़गांव में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के महासचिव अनिल कुमार के मुताबिक, ‘असली समस्या वेतन की है, दिहाड़ी मजदूर को काम न मिले तो उसके पास पैसे नहीं आते।’
वह कहते हैं, ‘यहा तक कि मध्य और छोटे आकार की यूनिटों में रेगुलर और कांट्रेक्ट पर काम करने वाले मजदूरों को भी लाॅकडाउन में उन दिनों का पैसा नहीं मिला, जब कंपनी बंद रही।’
भवन निर्माण कामगार यूनियन के महासचिव राजेंद्र सरोहा के मुताबिक, ‘यहां शीतला कालोनी, सूरत नगर, टेकचंद नगर, लक्ष्मण विहार, मानेसर और दूसरे एरिया में लगभग 50,000 दिहाड़ी मजदूर रहते हैं। उनके पास किराया चुकान, राशन लेने और यहां तक कि घर वापस लौटने तक के लिए पैसे नहीं हैं।’
मानेसर इंडस्ट्रीज वेल्फेयर एसोसिएशन के महासचिव मनमोहन गैंड के मुताबिक, ‘हमने 50,000 परिवारों को एक महीने के लिए हर रोज कच्चा राशन देने का फैसला लिया है।’
उन्होंने बताया कि हम इस सप्लाई को और भी बढ़ाएंगे क्योंकि हम नहीं चाहते कि हमारे मजदूर भूख का सामना करें और वापस लौटने को मजबूर हों।
उद्योग विहार के फैक्ट्री मालिकों ने बताया कि ज्यादातर छोटी युनिटों के मालिक भी अपने मजदूरों के रहने का इंतजाम कर रहे हैं।
इसके अलावा पुलिस भी इनकी मदद को सामने आ रही है। पुलिस कमिश्नर केके राव का कहना है कि अगर किसी मज़दूर को आश्रय और खाने की जरूरत है तो 100 नंबर पर काॅल करके मदद पा सकता है। हालांकि पिछले लॉकडाउन में पुलिस के सारे दावों की पोल पहले ही खुल चुकी है।
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