झारखंड में युवा आत्महत्या को लगा रहे गले, कोयलांचल में महज़ 82 दिनों में 101 लोगों ने की आत्महत्या
झारखंड के धनबाद और कोयलांचल में महज़ 82 दिनों में 101 लोगों ने मौत को गले लगाया। देश व्यापी लॉकडाउन के कारण पूरे देश में आत्महत्याओं का सिलसिला तेजी से बढ़ रहा है।
झारखंड के स्थानिय अखबार के मुताबिक, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह में प्रतिदिन एक से अधिक व्यक्ती आत्महत्या कर रहा है। इस में युवा वर्ग की संख्या सबसे अधिक है।
अखबार की माने तो, सरकारी आकड़ें के अनुसार धनबाद, गिररिडीह, बोकारो में 82 दिन के भीतर 101 लोगों ने आत्महत्या की है।
स्टील सिटी बोकारो में मार्च से लेकर 20 जून तक 45 लोगों ने आत्महत्या की है। इसमें मार्च में 12 लोगों ने आत्महत्या की है। अप्रैल में 10, मई में 19 और जून में चार लोगों ने आत्महत्या की। वही गिरिडीह जिला के 19 लोग शामील हैं।
कोरोना के बढ़ते कदम को रोकने के लिए 24 मार्च को देश व्यापी लॉकडाउन घोषित कर दिया गया, जो 70 दिन तक चलता रहा। 2 जून के बाद अनलॉक 1 की घोषणा कर दी गई। एक बार फिर लोग जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए जुट गए। पर इस बीच अचानक आत्महत्या की घटनावों में तेजी होने लगी।
लॉकडाउन के कारण 70 दिन तक लोग घर में बेरोज़गार बैठै थे। पास जो कुछ पैसैं थे वे भी खत्म हो जाने के कारण कई लोगों ने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या कर ली।
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अखबार के अनुसार जोड़ापोखर स्थित बरारी में रहने वाले शहादत इराकी ने पहले अपनी बेगम परवीन को मौत के घाट उतारा, फिर 13 माह की बच्ची खुशबू को, और फिर खुद आत्महत्या कर ली। पुलिस जांच में खुलासा हुआ तो पता चला कि परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था।
कुछ दिन बाद इसी तरह की घटना बनियाहीर से सामने आई थी, जहां 32 साल की रेशमा खातून ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर थी। और उनकी 12 साल की बेटी मुश्कान की लाश बेड पर पड़ी थी।
अखबार ने बताया है कि झारखंड में बच्चे छोटी-छोटी बात पर अत्महत्या कर रहे है। 26 की बात करे तो पिंड्राजोरा में रहने वाले मधुसूदन के 14 साल के बेटे ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि पिता ने उसे पढ़ने के लिए डांटा था। वही 20 वर्ष की लक्ष्मी कुमारी ने अपने पिता से डांट सुनने के बाद पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली थी।
आत्महत्या करने वाले 101 लोगों में से 37 लोग धनबाद के है। इसमें से 32 लोग छोटी उम्र के थे। यानी आत्महत्या करने वालों में युवा वर्ग सबसे अधिक है।
अखबार ने दावा किया है कि मनोचिकित्सकों के अनुसार लॉकडाउन के बाद लोग अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं। कई लोगों के हाथ से रोज़गार चला गया है। साथ ही घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी हुई है।
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आत्महत्या की ये घटना केवल झारखंड में नहीं बढ़ रही बल्की देश के कई कोने में लोग आत्महत्या कर रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले मानेसर स्थित मारुति प्लांट में ठेका पर सालों से काम क कर रहे अजय प्रताप नाम के एक मज़दूर ने आत्महत्या कर ली थी।
शोधार्थियों के एक समूह द्वारा एकत्र किए गए डाटा के अनुसार, भारत में 19 मार्च से 2 मई के बीच 80 लोगों ने आत्महत्या को गले लगाया है और 36 लोगों की मौत आर्थिक तंगी, भूखमरी से हुई है।
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