फौज में ठेके पर भर्ती के ख़िलाफ़ उबला नौजवानों का गुस्सा, बिहार में सड़कों पर उतरे हज़ारों छात्र, योजना वापसी की मांग

फौज में ठेके पर भर्ती के ख़िलाफ़ उबला नौजवानों का गुस्सा, बिहार में सड़कों पर उतरे हज़ारों छात्र, योजना वापसी की मांग

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी के बाद दूसरे कार्यकाल में पुराने श्रम कानूनों की जगह 4 श्रम संहिताओं को सेना में भी लागू करने का फरमान जारी कर दिया।

अब सेना में भी फिक्स्ड टर्म यानी 4 साल के लिए संविदा पर भर्ती होगी।

योजना की घोषणा के साथ ही इसका विभिन्न राज्यों में सेना के अभ्यर्थियों की ओर से विरोध भी शुरू हो गया है और कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी योजना पर सवाल उठाए हैं।

ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या वाकई इस योजना को सेना की मजबूती और युवाओं की बेहतरी के लिए लाया गया है?

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मंगलवार,14 जून को केंद्र सरकार ने दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए थलसेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती संबंधी ‘अग्निपथ’ नामक योजना की घोषणा की, जिसके तहत सैनिकों की भर्ती चार साल की लघु अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी।

खबरों के मुताबिक अलग-अलग रैंक और प्रतीक चिह्न लगाने वाली इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में बेरोज़गारी कम करने के साथ ही रक्षा बजट पर वेतन और पेंशन के बोझ को भी घटाना है।

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ट्रेन पर पथराव और चक्का जाम

देशभर में सेना में ठेकेदारी प्रथा का काफी विरोध हो रहा है। नौकरी की तैयारी में लगे युवाओं में काफी गुस्सा है। सबसे ज्यादा मुखर विरोध बिहार में देखने को मिल रहा है। सैकड़ों की संख्या में युवा सड़कों पर हैं, तो वहीं कई जगह ट्रेन पर पथराव, चक्का जाम और घरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

खबर लिखे जाने तक बिहार के बक्सर, मुजफ्फरपुर, आरा समेत कई जिलों से विरोध की खबरें हैं। प्रदर्शन में शामिल नौजवानों का कहना है कि सरकार इस योजना के तहत युवाओं को सेना में भर्ती हो कर देश सेवा का मौका नहीं दे रही बल्कि युवाओं से उनके रोज़गार का हक़ छिन रही है। धीरे-धीरे सारी सरकारी नौकरियां खत्म कर, युवाओं को 4 साल का लॉलीपॉप दिखा रही है।

मुजफ्फरपुर में सेना भर्ती की तैयारी करने वाले युवा बुधवार की सुबह होते ही सेना भर्ती बोर्ड के कार्यालय पहुंच गए और हंगामा शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने चक्कर मैदान व रेलवे स्टेशन के पास चक्काजाम की भी खबर है। सदर थाना क्षेत्र के भगवानपुर गोलंबर में सैकड़ों युवा नारेबाजी करते दिखे। यहां एनएच 28 चक्काजाम किया गया।

दानापुर रेल मंडल के अंतर्गत पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जंक्‍शन – पटना जंक्‍शन रेलखंड के बक्‍सर रेलवे स्टेशन पर छात्रों ने खूब बवाल काटा है। सैकड़ों छात्रों ने रेल पटरी पर बैठ कर ट्रैक को करीब 45 मिनट तक जाम किए रखा। इससे बक्सर में जनशताब्दी एक्सप्रेस करीब एक घंटे खड़ी रही।

इस दौरान कुछ युवकों ने पटना जा रही पाटलिपुत्र एक्सप्रेस ट्रेन पर पथराव भी किया। काशी पटना जनशताब्दी एक्सप्रेस समेत कुछ ट्रेनों को रोके जाने की भी खबर है। नाराज छात्रों का कहना था कि केंद्र की ये योजना गलत है इसमें चार साल में रिटायर कर दिया जाएगा, आगे फिर हम क्या करेंगे?

क्या है ‘अग्निपथ’ योजना?

दशकों पुरानी चयन प्रक्रिया में बड़े बदलाव के संबंध में रक्षा मंत्रालय ने बताया कि अग्निपथ योजना के तहत तीनों सेनाओं में इस साल 46,000 सैनिक भर्ती किए जाएंगे और चयन के लिए पात्रता आयु 17.5 वर्ष से 21 वर्ष के बीच होगी और इन्हें ‘अग्निवीर’ नाम दिया जाएगा।

रोजगार के पहले वर्ष में एक ‘अग्निवीर’ का मासिक वेतन 30,000 रुपये होगा, लेकिन हाथ में केवल 21,000 रुपये ही आएंगे। हर महीने 9,000 रुपये सरकार के एक कोष में जाएंगे, जिसमें सरकार भी अपनी ओर से समान राशि डालेगी।

दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष में मासिक वेतन 33,000 रुपये, 36,500 रुपये और 40,000 रुपये होगा। प्रत्येक ‘अग्निवीर’ को ‘सेवा निधि पैकेज’ के रूप में 11.71 लाख रुपये की राशि मिलेगी और इस पर आयकर से छूट मिलेगी।

यह भर्ती ‘अखिल भारतीय, अखिल वर्ग’ के आधार पर की जाएगी। इससे उन कई रेजींमेंट की संरचना में बदलाव आएगा, जो विशिष्ट क्षेत्रों से भर्ती करने के अलावा राजपूतों, जाटों और सिखों जैसे समुदायों के युवाओं की भर्ती करती हैं।

सशस्त्र बलों द्वारा समय-समय पर घोषित की गई संगठनात्मक आवश्यकता और सेना की नीतियों के आधार पर चार साल की सेवा पूरी होने पर ‘अग्निवीर’ को सशस्त्र बलों में स्थायी नामांकन के लिए आवेदन करने का अवसर प्रदान किया जाएगा।

नई योजना के तहत चार साल के कार्यकाल में करीब ढाई से छह महीने की प्रशिक्षण अवधि शामिल होगी। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ‘अग्निवीर’ सशस्त्र बलों में किसी भी मौजूदा रैंक से अलग रैंक होगा। योजना में नियमित सेवा के लिए हर बैच से 25 प्रतिशत सैनिकों को बरकरार रखने का प्रावधान है।

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सरकार का कुतर्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक में योजना को मंजूरी मिलने के थोड़ी ही देर बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मीडिया को नई पहल के बारे में पूरा ब्योरा उपलब्ध कराया।

अगले 90 दिनों यानी तीन माह के अंदर अग्निपथ योजना के तहत भर्तियां शुरू हो जाएंगी। नए अग्निवीरों की उम्र साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच होगी। इस योजना के तहत चार साल के लिए क़रीब 45000 युवाओं को भर्ती किया जाएगा। सेना के अग्निवीरों में महिलाएं भी शामिल होंगी।

इस योजना का मकसद रक्षा विभाग के बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करना बताया जा रहा है।

सवाल गहरा है

सवाल यह है कि जब कम से कम 15 साल की नौकरी का पहले से प्रवाधान मौजूद है तो ये 4 साल का नया लॉलीपॉप क्यों? दसवीं या बारहवीं पास करके अग्निवीर बने 75 फीसदी युवाओं के पास चार साल बाद क्या विकल्प होगा?

सरकार के पास 4 साल बाद उन्हें दूसरी नौकरी दिलवाने के लिए सरकार के पास क्या स्कीम है, जबकि उनकी पूरी उम्र पड़ी होगी? और अगर सरकार ही नौकरी नहीं देगी तो प्राइवेट सेक्टर क्यों देगा, जहां पहले से ज्यादा पढ़े-लिखे लोग लाइन में हैं।

यही नहीं, सरकार करीब 12 लाख रुपये सेवा निधि देने की बात कर रही है, वह उन्हीं के वेतन से काटी गई राशि है।

पूर्व सैन्य अधिकारियों ने उठाए सवाल

खबर के मुताबिक सेना में अहम पदों पर रह चुके कुछ लोगों ने इस योजना पर चिंता जताई है। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक अव्वल तो इससे समाज के ‘सैन्यीकरण’ का ख़तरा है। दूसरे, इसकी वजह से भारतीय सेना में ‘नौसिखिए’ जवानों की संख्या बढ़ जाएगी, जो शत्रु देशों की ओर से मिलने वाली चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ होंगे। तीसरा, इसके कारण सशस्त्र बलों की सदियों पुरानी रेजिमेंटल संरचना बाधित हो सकती है।

पूर्व एयर स्टाफ प्रमुख और सेना में अहम पद पर रह चुके बिरेंदर धनोआ ने ट्वीट किया, “पेशेवर सेनाएं आमतौर पर रोज़गार योजनाएं नहीं चलाती…. सिर्फ़ कह रहा हूँ।”

रिटायर्ड लेफ़्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने लिखा, “सशस्त्र बलों के लिए ख़तरे की घंटी। इसका पायलट प्रोजेक्ट लाए बिना ही लागू कर दिया गया। समाज के सैन्यीकरण का खतरा। हर साल क़रीब 40 हज़ार युवा बेरोज़गार होंगे। ये अग्निवीर हथियार चलाने में पूरी तरह प्रशिक्षित नहीं होंगे, अच्छा विचार नहीं है। इससे किसी को फ़ायदा नहीं होगा।”

लेफ्टिनेंट जनरल पी. आर. शंकर ने इसको ‘किंडरगार्टन आर्मी’ बताते हुए लिखा, “ये योजना बिना पर्याप्त कर्मचारी और क्षमता के शुरू की जा रही है। इसके तहत कम प्रशिक्षित युवा किसी सबयूनिट का हिस्सा बनेंगे और फिर बिना किसी भावना के ये अपनी नौकरी सुरक्षित रखने की दौड़ में शामिल हो जाएंगे।”

एक सेवानिवृत्त लेफ़्टिनेंट जनरल ने देश में बेरोज़गारी को देखते हुए कहा कि हज़ारों अग्निवीर चार साल तक सशस्त्र बलों में सेवा देंगे, इन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग मिलेगी और इसके बाद जब ये नौकरी से लौटेंगे तब देश में एक अलग तरह की आंतरिक सुरक्षा से संबंधित समस्या पैदा हो जाएगी।

मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) यश मोर ने आलोचना करते हुए कहा कि वह सबसे अधिक उन लाखों युवाओं को लेकर (निराशा) महसूस करते हैं, जिन्होंने पिछले दो वर्षों में भर्ती की सारी उम्मीद खो दी है। मोर ने ट्वीट किया, ‘सेवा मुख्यालय भी इसे लागू करने के लिए अनिच्छुक प्रतीत होता है।’

मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों के लिए अग्निपथ योजना पूर्ववर्ती सैन्य परंपरा, लोकाचार, नैतिकता और मूल्यों के अनुरूप नहीं है। ‘यह सेना की दक्षता और प्रभावशीलता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।’

कॉरपोरेट हित में जारी है काम

दरअसल मोदी सरकार ने कॉरपोरेट हित में लंबे संघर्षों से हासिल जो चार श्रम संहिताएं बनाई है, उसमें फिक्स्ड टर्म इमप्लायमेंट (नियत अवधि नियुक्ति) का प्रावधान है।

यही वह सभी जगह लागू करने वाली है, जिसको सेना जैसे अहम महकमे में लागू करने की घोषणा कर दी है।

इधर पूरे देश को सांप्रदायिक उन्माद में संघ-भाजपा ने उलझा दिया है, उधर मोदी सरकार मेहनतकश जनता और युवाओं पर कयामत ढाने में लगी है। वाकई यह जनता पर बुलडोजर है।

(मेहनतकश से साभार)

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