अब नीमराना की जापानी कंपनी में 1100 मज़दूर प्लांट में ही धरने पर बैठे

अब नीमराना की जापानी कंपनी में 1100 मज़दूर प्लांट में ही धरने पर बैठे

राजस्थान के नीमराना स्थिति जापानी बेल्ट में मौजूद मिकुनी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधन के रवैये से खफा मजदूर दोपहर लगभग ढाई बजे प्लांट के अंदर शॉप फ्लोर पर हड़ताल करके बैठ गए।

मिकुनी इंडिया कंपनी में 1100 मजदूर काम कर रहे हैं और वे कंपनी के अंदर ही धरने पर बैठ गए।

ख़बर के अनुसार, हड़ताल के समय दो शिफ्ट के लगभग 200 स्थायी और 900 ठेका मज़दूर मौजूद थे।

काम रुकते ही प्रबंधन के अधिकारी उन्हें मनाने दौड़े, लेकिन मजदूरों की मांगों पर विचार करने से इनकार कर दिया तो मजदूर भी धरने पर डट गए।

आखीर में 9 घंटे की जद्दोजहद और लंबी बातचीत के बाद टूल डाउन को समाप्त किया गया। 21 तारीख को मीटिंग रखी गई है।

प्रबंधन और मज़दूरों के बीच मांग पत्र को लेकर काफ़ी दिनों से विवाद चल रहा है।

वेतन को लेकर हुआ तनाव

हीरो और सुजुकी आदि ऑटो मोबाइल कंपनियों की वेंडर मिकुनी इंडिया में सालाना वेतन वृद्धि और अन्य सुविधाओं को लेकर काफी दिन से मांग हो रही है, जिसे प्रबंधन अनदेखा करता रहा।

यहां के ठेका मजदूरों का कहना है कि कई महीने से वेतन शुरुआत में नहीं, बल्कि महीना खत्म होने के समय दिया जा रहा है, जिससे पूरा महीना तनाव में गुजरता है और उधार लेकर काम चलाना पड़ता है।

वेतन वृद्धि को लेकर प्रबंधन का कहना है कि कंपनी घाटे में है, बढ़ाना मुमकिन नहीं है। दूसरी ओर, मजदूरों का कहना है कि जब प्लांट के अंदर लगातार ओवरटाइम कराया जा रहा है तो कंपनी घाटे में कैसे है।

प्रबंधन और मजदूरों के बीच टकराहट की एक वजह ये भी बताई जा रही है कि कई साल से यूनियन बनाने के प्रयास हो रहे हैं।

बहरहाल, जैसे जापानी बेल्ट की कंपनियों में हड़ताल की खबर पहुंची, दूसरी कंपनी के मजदूरों के समर्थन में आने की ख़बर है।

हड़ताली श्रमिकों के समर्थन में डाइकिन और निस्सिन कंपनी के मजदूर भी मिकुनी कंपनी के गेट पर समर्थन देने पहुंचं।

चार साल पहले महिला श्रमिक से छेड़छाड़ मामले में मिकुनी के मजदूरों ने बड़ा प्रदर्शन किया था। छेड़छाड़ का आरोप सीनियर प्रोडक्शन मैनेजर पर था।

नीमराना औद्योगिक क्षेत्र पिछले कई सालों से श्रम क़ानूनों के उल्लंघन और मज़दूर असंतोष का केंद्र बना हुआ है।

अभी हाल ही में जापानी कंपनी निस्सिन ब्रेक से दर्जनों ट्रेनी मज़दूरों को निकाल दिया गया जबकि उनकी भर्ती परमानेंट किए जाने के वादे के साथ हुई थी। मज़दूरों का कहना है कि जब उनके ट्रेनिंग के दो साल पूरे हुए कंपनी ने उन्हें एक एक कर बाहर कर दिया।

निस्सिन ब्रेक कंपनी के ट्रेनी एसोसिएट तीन महीने से नौकरी से हटाए जाने के ख़िलाफ़ लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं।

डाइकिन का संघर्ष पिछले सात साठ सालों से चल रहा है, यहां भी यूनियन बनाने, मांगपत्र पर बातचीत किए जाने की मांग को लेकर काफ़ी संघर्ष हुए और दो साल पहले आम हड़ताल के दिन मज़दूरों ने रैली निकाल कर रजिस्टर्ड यूनियन का झंडा लगाना चाहा, जिस पर लाठी चार्ज किया गया था। ये मुकदमा आज भी चल रहा है।

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ashish saxena