निजीकरण हुआ तो इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन करेंगे: रेलवे मज़दूर संघ ने सरकार को चेताया
मोदी सरकार इस देश की हर सार्वजनिक संपत्ति को निजी हाथों में देने पर आमदा हो गई है। इसमें रेलवे भी शामिल है।
रेलवे निजीकरण के खिलाफ रेलवे मज़दूर संघ विरोध प्रदर्शन के मैदान में उतर गया है।
रेलवे मज़दूर संघ ने सरकार को चेताया है। “यदि रेलवे निजीकरण हुआ तो हम भारतीय रेल के इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन करेंगे जो कि 1960,1968 और 1974 में हुआ था, जिसने रेलवे की जड़ों को हिला कर रख दिया था”।
कोंकण रेलवे वेन्यू के राष्ट्रीय रेलवे मज़दूर नेता पी. नायर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि, “रेलवे निजीकरण के खिलाफ की लड़ाई अब सीमित नहीं हैं। निजीकरण से नुकसान रेल कर्मचारियों के साथ-साथ हर उस व्यक्ति का होगा जो इससे जुड़ा है”।
उन्होंने आगे कहा, “यदि रेलवे निजी हाथों में चला जाएगा तो टिकट का दाम बढ़ जाएगा। इस लड़ाई को हम घर-घर पहुंचाना चाहते हैं।”
पी. नायर ने तेजस एक्सप्रेस का उदाहरण देकर बताया कि, “दिल्ली लखनऊ के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस में भारतीय रेलवे यात्रा का तीन गुना पैसा वसूलता है।”
उन्होंने आगे कहा, “यात्रियों को अपनी मंजिल तक ही जाना है। चाहे रेलवे निजी हाथों में हो या सरकार के हाथों में।”
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109 रूट पर चलेंगी 151 प्राइवेट रेलगाड़ियां
नायर आगे कहते हैं, “एक तरफ बीजेपी सरकार रेल कर्मचारियों को कोरोना योद्धा कहकर सम्मान देती है तो दूसरी तरफ वही सरकार सुरक्षा श्रेणी को छोड़कर, 50 प्रतिशत पदों के साथ निजीकरण और नियोजन को बढ़ावा दे रही है। सरकार का अपना बयान ही परस्पर विरोधी है।”
एनआरएमयू के लीडर कहते हैं, “सरकार लॉकडाउन की आँड़ में कई फैसले कर रही है। क्योंकि कोरोना महामारी चल रहा है कोई भी विरोध प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा नहीं हो सकता है”।
स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन के जनरल सेक्रेटरी विकास गौर कहते हैं, “भारतीय रेलवे 13 लाख कर्मचारियों के साथ सबसे बड़ी पब्लिक सेक्टर है। इसके अंदर समाज के हर तबके को रोज़गार देने की क्षमता है।”
उन्होंने आगे कहा, “रेलवे निजीकरण की कड़ी निंदा करते हैं। साथ ही सरकार से आग्रह करते हैं कि रेल कर्मचारियों की क्षमता पर भरोसा कर के देखें।”
विकास गौर ने आगे बताया, “इतिहास गवाह है न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम, अर्जेंटीना जैसै विकसित देशों में रेलेव का निजीकरण होने के बाद क्या हश्र हुआ है।”
आप को बता दे कि रेलवे निजीकरण की खिलाफत पूरा देश कर रहा है। बावज़ूद इसके मोदी सरकार ने 109 रेल लाइनों पर 151 ट्रेन चलाने के लिए निजी कंपनियों को नेवता दिया है
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