श्री राम इंजीनियर्स ने 20 साल से काम कर रहे स्थाई मज़दूरों को काम से किया टर्मिनेट, बेरोज़गार मज़दूर कटी अंगुलियों से दिहाड़ी करने पर मज़बूर

श्री राम इंजीनियर्स ने 20 साल से काम कर रहे स्थाई मज़दूरों को काम से किया टर्मिनेट, बेरोज़गार मज़दूर कटी अंगुलियों से दिहाड़ी करने पर मज़बूर

By खुशबू सिंह

हरियाणा के मानेसर के आईएमटी स्थित श्री राम इंजीनियर्स में काम करने वाले 28 स्थाई मज़दूरों को कंपनी ने बिना किसी नोटीस के काम पर से निकाल दिया है।

कंपनी ने 57 मज़दूरों में से 28 मज़दूरों को निकाला है। ये सभी मज़दूर कंपनी में 15-20 साल से काम कर रहे थे।

इसी कंपनी में काम करने वाले एक मज़दूर ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि, “कंपनी 29 मज़दूरों से काम करा रही है। लेकिन उन्हें काम छोड़ने के लिए रोज़ाना प्रताड़ित किया जाता है।”

वहीं एक और मज़दूर ने हमें बताया कि, “कंपनी साज़िश रच रही है। निकाले गए मज़दूर जैसै ही कंपनी द्वारा भेजे गए पत्र को स्वीकार कर लेगें कंपनी बाकि के 29 मज़दूरों को काम से निकाल देगी।”

दरअसल निकाले गए मज़दूरो को कंपनी प्रबंधन ने कूरियार के जरिए उनके घर पर एक पत्र में साल भर का हिसाब भेज दिया है। लेकिन मज़दूरों को हिसाब नहीं रोज़गार चाहिए।

कंपनी यूनियन की कमर तोड़ना चाहता है प्रबंधन

मज़दूर कहते हैं, “यदि कंपनी एक साथ सभी मज़दूरों को काम से निकालेगी तो उन्हें अधिक पैसै देना पड़ेगा।  इसीलिए मज़दूरों को साज़िश के तहत बारी-बारी से निकाला जा रहा है।”

एक अन्य मज़दूर ने हमे बताया कि, “वैसै तो कंपनी आर्थिक तंगी का हवाला देकर लोगों को काम से निकाल रही है। पर प्रबंधन का असली मकसद कंपनी की यूनियन का कमर तोड़ना है।”

बेरोज़गार मज़दूर अपने परिवार का पेट पालने के लिए दिहाड़ी मज़दूरी भी कर रहे हैं।

श्री राम इंजीनियर्स से निकाले गए एक मज़दूर ने हमे बताया कि, “बेरोज़गार होने के बाद मैं दो दिन दिहाड़ी करने गया। 8 घंटे लगातार जी तोड़ मेहनत करने के बाद सेठ मुझे केवल 400 रुपए देता था।”

उन्होंने आगे बताया, “दिहाड़ी करने के दौरान सेठ मुझ से कुछ भी करा सकता है। दिहाड़ी का काम बंधुआ मज़दूरों की तरह ही होता है।”

बातचीत करने के दौरान एक मज़दूर ने अपनी कटी हुई अंगुलियों को दिखाते हुए कहा, “इस कंपनी में काम करने वाले 80 प्रतिशत मज़दूरों की अंगुलियां इसी तरह कटी हुई है। अंगुली कट जाने के बाद कंपनी प्रबंधन केवल तीन बार दवाई का खर्च उठाता है। उस के बाद खुद ही पूरा खर्च उठाना पड़ता है।”

वे आगे बताते हैं, “कटी हुई अंगुली को ठीक होन में तीन महीने लग जाते हैं। अगर इस बीच काम से छुट्टी होती है तो प्रबंधन उसके भी पैसै काट लेता है।”

वहीं एक मज़दूर ने हमें बताया कि, “बहुत जद्दोजहद करने के बाद हमें कटी हुई अंगुली का पेंशन मिलता है। पर लॉकडाउन के बीच तीन महीने से पेंशन भी नहीं मिला है।”

निकाले गए मज़दूर रोज़ाना कंपनी की गेट के सामने काम पर वापस लेने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। इनका कहना है कि, “कंपनी प्रबंधन उन्हें काम पर वापस ले हिसाब नहीं चाहिए रोज़गार चाहिए।”

मानेसर आईएमटी में अधिकांश कंपनियों में मज़दूरों को गैर क़ानूनी तरह से निकाला जा रहा है। इसी तरह मुंजाल शोवा में 15-20 साल से कॉनट्रैक्ट पर काम कर रहे लगभग 450 मज़दूरों को निकाल दिया है।

धरूहेंडा में स्थति ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनी रिको ने भी 118 मज़दूरों को अवैध तरीके से काम से निकाल दिया है।

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Workers Unity Team