मज़दूरों के समर्थन में महिलाओं और बच्चों के आगे आते ही प्रशासन के हाथ पांव फूले, डीएम ने कहा- पहले इन्हें हटाएं

इंटरार्क कंपनी के मज़दूरों के पक्ष में उनके घर की महिलाओं और बच्चों के प्रदर्शन में उतरते ही प्रशासन बौखला गया।

रविवार, 23 सितम्बर को  अंबेडकर पार्क से मज़दूरों की मांग को लेकर एक जुलूस निकलना था, लेकिन देखते ही देखते इंटरार्क मजदूरों का महिलाओं और बाल सिपाहियों संग हजारों की तादात में प्रदर्शनकारी उमड़ पड़े।

पिछले दिनों कलेक्ट्रेट पर हुए प्रदर्शन में महिलाएं शामिल थीं। प्रदर्शन को दबाने के लिए प्रशासन ने 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज कर दिया और लोगों को डराने के लिए दबिश देनी शुरू कर दी थी।

इंटरार्क मजदूर संगठन किच्छा व सिडकुल पंतनगर के वर्कर, महिलाओं और बाल सिपाहियों संग हजारों की तादात में मजदूर एकत्रित हो गए। जुलूस से पहले वहां सभा भी हुई।

इंकलाबी मजदूर केंद्र के दिनेश भट्ट ने कहा कि मजदूरों पर झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं और श्रम कानूनों को लागू नहीं किया गया तो पूरे सिडकुल के मजदूरों को सड़कों पर उतरना पड़ेगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी यहां के शासन और प्रशासन उत्तराखंड सरकार की होगी।

उन्होंने कहा कि एलसी में बैठी एडविक कर्मचारी यूनियन को भी मान्यता देनी होगी और उनके एक मजदूर को भी कार्य बहाली करवानी होगी वरना श्रमिक संयुक्त मोर्चा आंदोलन और तेज करेगा।

वर्करों का समर्थन करते हुए निहारिका ने कहा कि मजदूर अपनी खून और पसीने का हक मांग रहा है आज उनमें छोटे-छोटे बच्चों और महिलाएं भी शामिल हैं। छोटी छोटी मासूम बच्चों की हालत का जिम्मेदार और इसकी सारी जवाबदेही उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार की होगी।

महिला मजदूरों ने संबोधित करते हुए कहा कि उधम सिंह नगर के शासन-प्रशासन और उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार पर ज़िम्मेदारी है कि वो श्रम कानूनों को लागू करे।

उन्होंने कहा कि जल्दी ही ये सरकारें नहीं मानीं तो मजदूरों को उग्र रूप धारण करना पड़ेगा।

वर्कर प्रतनिधियों ने कहा कि अवैध गेट बंदी और अवैध वेतन कटौती नहीं रुकी तो मजदूरों के उग्र होने और औद्योगिक अशांति फैलने की जिम्मेदारी खुद उत्तराखंड सरकार की होगी जहां पर श्रम कानूनों को दरकिनार रखे हुए कंपनी मालिक पूंजीपति वर्ग अपनी मनमानी कर रहे हैं। डीएलसी और फैक्ट्री मालिक की कार्रवाई को देख कंपनी प्रबंधन शोषण उत्पीड़न पर उतारू है।

सभा के दौरान उधम सिंह नगर जिला अधिकारी का कहना था कि पहले आप महिला शक्ति और छोटे-छोटे बाल सिपाही को धरने से नहीं हटाएंगे तब तक समझौता नहीं होगा।

सभा में महिलाओं ने डीएम के ख़िलाफ़ भी नारेबाज़ी की और आरोप लगाया कि ‘डीएम महोदय को भी कुछ मालिकों से मिल रहा है तभी वे इनकी बातें कर रहे हैं। शर्म आनी चाहिए ऐसे जिला प्रशासन अधिकारी और उत्तराखंड सरकार को।’

सुबह 11 बजे से अंबेडकर पार्क रूद्रपुर में मजदूरों की तादात को देखते हुए प्रशासन भी सकते में आ गया और वहां पर महिला कांस्टेबल भी तैनात कर दी गईं।

हालांकि पहले ही प्रशासन को जुलूस निकालने के बारे में बता दिया गया था।

जुलूस 3 बजे अंबेडकर पार्क से निकला और पुलिस ने जुलूस का रास्ता तय करके ट्रैफिक का प्रबंध किया।

लेकिन पूरे शहर में जुलूस घूमने के बाद अंबेडकर पार्क में कोतवाल ने मजदूरों से जुलूस निकालने की और सभा करने की परमिशन दिखाने की मांग कर दी।

श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष ने कहा कि ‘ऐसे पुलिस प्रशासन को जो मजदूरों की सभाओं और जुलूस की परमिशन मांगते हैं और पूंजीपतियों का सपोर्ट करते हैं। इनको पूंजीपतियों से ये नहीं पूछा जाता कि उन्होंने मजदूरों के श्रम कानूनों को लागू किया है या नहीं?’

यूनियन नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर मामले का निपटारा जल्द से जल्द नहीं हुआ तो सभी मज़दूर संगठन मिलकर सड़क पर उतरेंगे।स्पार्क मिंडा के मजदूरों की तुरंत कार्य बहाली की भी मांग की गई।

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