दो दिनों में भुखमरी के शिकार चार मज़दूरों ने की आत्महत्या
बीते दो दिनों में लॉकडाउन में भुखमरी के कगार पर पहुंचे कम से कम चार मजदूरों ने आत्महत्या कर ली।
वहीं, खबर के अनुसार, उत्तराखंड के कुमाऊं में पिछले एक सप्ताह में सात लोगों ने खुदकुशी की है जिनमें चार श्रमिक, एक बस चालक और दो युवतियां हैं।
बिहार के बेगुसराय के एक प्रवासी मजदूर रामजी महतो की भी मौत हो गयी है जब वे दिल्ली से 850 किलोमीटर दूर पैदल चल कर वाराणसी जा रहे थे।
वे दो घंटे तक सड़क पर बेहोश पड़े रहे और उसे कोई एम्बुलेंस नहीं मिला. लोगों को डर था कि उसे कोरोना हो गया है।
Taken to a hospital, the 45-year-old migrant from Begusarai, Bihar, was declared dead on arrival on Friday — another collateral casualty of the Covid-19 lockdown.https://t.co/u0wTiYqMpU
— The Telegraph (@ttindia) April 18, 2020
आत्महत्या करने वालों में बंगाल के बीड़ी मज़दूर निखत परवीन, हैदराबाद में मोहम्मद आमिर जो बिहार के रहने वाले थे और घर का किराया न दे पाने के और वापस जाने की उम्मीद ख़त्म होता देख पंखे से लटक कर जान दे दी।
गुडगांव से मुकेश जिसने अपने परिवार के लिए भोजन खरीदने के बाद आत्महत्या कर लिया और यूपी से डेलीवेज मजदूर रिजवान का नाम भी शामिल है।
उधर, उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले में सरकारी राशन की दुकान पर राशन के लिए लाइन में खड़ी एक महिला की शुक्रवार को मौत हो गई।
महिला दो दिन से राशन के लिए क़रीब डेढ़ किलोमीटर दूर चलकर सरकारी राशन की दुकान पर आ रही थी।
बदायूं ज़िले में सालारपुर ब्लॉक के प्रहलादपुर गांव की शमीम बानो शुक्रवार को राशन के लिए लाइन में लगी थीं।
शमीम बानो के पति दिल्ली में किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं, जो लॉकडाउन के चलते वहीं फँसे हुए हैं।
शमीम बानो एक दिन पहले भी राशन की लाइन में लगी थीं लेकिन तब उनका नंबर नहीं आया। दूसरे दिन यानी शुक्रवार को भी वो सुबह आठ बजे से ही लाइन में लगी थीं।
लेकिन 11 बजे तेज धूप के कारण वो बेहोश हो गईं और अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई। न तो शमीम बानो और ना ही उनके पति के पास मोबाइल फ़ोन है।
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