शॉपर्स स्टॉप और रेमंड से लेकर छोटे रिटेलर्स तक- हजारों लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है
देश के सबसे पुराने डिपार्टमेंट स्टोर चेन शॉपर्स स्टॉप, 1100 कर्मचारियों को निकालने की तैयारी में जुट गया है। कर्मचारियों को निकालने के साथ, कंपनी कई स्टोर को बंद भी करने वाली है। कोरोना महामारी की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन के कारण फैशनेबल और महंगे उत्पादों की मांग घटी है। इससे कंपनी की बिक्री पर बुरा असर पड़ा है।
शॉपर्स स्टॉप के प्रवक्ता ने “इकोनॉमिक टाइम्स” को दिए इंटरव्यू में बताया ‘जिन कर्मचारियों को कंपनी निकालेगी, उन्हें 2 महीने की सैलरी दी जाएगी। कंपनी के पास इस समय 7,500 कर्मचारी हैं। इसमें से 15 प्रतिशत कर्मचारियों को 15 जून तक इस्तीफा देने को कहा गया है। इसमें से ज्यादातर कर्मचारी जूनियर और मिड लेवल के हैं। जिन कर्मचारियों को कंपनी की ओर से इस्तीफा देने को कहा गया है उसमें 160 कर्मचारी बैक एंड ऑपरेशंस से जुड़े हैं। 1,000 कर्मचारी फ्रंट एंड स्टोर लेवल के हैं’।
शॉपर्स स्टॉप के कर्मचारियों ने इस बात की पुष्टि की है। हालांकि कंपनी ने इसके साथ यह भी कहा है कि जैसे ही माहौल में सुधार होगा, नई भर्ती की जाएगी। कंपनी ने कहा है कि अन्य रिटेलर्स की तरह हम भी अच्छे प्रदर्शन नहीं करनेवाले स्टोर को बंद कर रहे हैं। बिजनेस घटेगा तो इसका असर कर्मचारियों पर पड़ेगा। ऐसी स्थिति में नए स्टोर्स को खोलने की संख्या सीमित कर दी गई है।
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इससे पहले रेमंड ने कर्ज के बढ़ते बोझ के कारण सैकड़ो एंप्लॉयी को निकालने का ऐलान किया था। क्लोदिंग मैन्युफैक्चरिंग असोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट राहुल मेहता ने कहा कि अन-ऑर्गनाइज्ड रीटेल में बेरोजगारी की समस्या ज्यादा गंभीर है।
MSME कैटिगरी के तहत आने वाले 80 फीसदी गारमेंट इंडस्ट्री के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो अपने एंप्लॉयी को सैलरी दे पाए।
रीटेल असोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, 25 फीसदी स्मॉल रीटेलर्स ने कहा कि उन्हें सर्वाइव करने के लिए कैपिटल की जरूरत है, जबकि 50 पर्सेंट का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण उन्हें अब अपना बिजनस बंद करना होगा।
(ये खबर बिज़नेस इनसाइडर में प्रकाशित हो चुकी है और साभार यहां दिया जा रहा है। हिंदी में रुपांतरण किया है खुशबू सिंह ने।)
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