छंटनी और सैलरी काटने पर मारुति की वेंडर कंपनी बेलसोनिका के मज़दूरों में रोष
बेलनसोनिका ऑटो कम्पोनेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा अभी 17 मई 2020 को लगभग 300 अस्थाई कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया था।
और लगभग 150 अस्थाई को भी अभी तक काम पर नहीं बुलाया गया हांलाकि उनकी मई माह की सैलरी पूरी दी गई।
यूनियन ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि मोदी सरकार द्वारा सैलरी देने के अपने फैसले को वापिस लेते ही प्रबंधन ने लगभग 40 % यानी 250 श्रमिकों से धोखा कर के सैलरी में भारी कटौती की है।
यूनियन प्रतिनिधि के अनुसार, ये कटौती ऐसे श्रमिकों की, जो दूर दराज के क्षेत्रों में सार्वजनिक यातायात न चलने के कारण कंपनी नहीं पहुंच पाए। और जो श्रमिक नियंत्रण क्षेत्र में होने के कारण कंपनी नहीं पहुंच पाए।
जो श्रमिक कंपनी द्वारा नहीं बुलाए गए उनको होम टाउन में दिखाकर जान बूझकर सैलरी में कटौती कर दी गई।
जिन श्रमिकों को बुखार व खांसी या जो कंपनी प्रबंधन के कहने पर कंपनी नहीं आए ऐसे श्रमिकों की सैलरी काटी गई सैलरी 700 से 800 रुपये प्रति श्रमिक है।
- बिहार में बहार वाली नीतीश सरकार प्रवासी मज़दूरों को क्या मुंह दिखाएगी?
- जिस राज्य के मज़दूर सबसे ज़्यादा तड़पाए गए, उन्हीं से अमित शाह जिताने की अपील कर रहे
कंपनी को श्रमिकों के स्वास्थ्य से कोई मतलब नहीं है, बस सैलरी किस तरह से काटी जाए यही मंशा रहती है।
प्रतिदिन केवल 400 कर्मचारियों को कंपनी बुलाया जाता है। जबकि कंपनी में लगभग 689 स्थाई कर्मचारी हैं।
फिर भी जानबूझकर सैलरी काटी जा रही है। यूनियनों ने इस सैलरी काटने का विरोध किया है।
यूनियन का कहना है कि इसकी एक लिखित शिकायत लेबर विभाग, मुख्यमंत्री हिरयाणा सरकार को दी जाएगी और जल्दी ही सभी श्रमिकों को साथ लेकर लघु सचिवालय गुड़गांव पर प्रदर्शन किया जाएगा।
यूनियन का कहना है कि महामारी के समय प्रबंधन मज़दूरों का साथ देने की बजाए मज़दूरों से छलकपट करके धोखे से नुकसान पहुंचाना चाहती है।
कंपनी के अंदर प्रबंधन द्वार महामारी के समय सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन की धज्जियां उडा़ाई जा रही हैं।
(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)