आम हड़ताल में 25 करोड़ से अधिक मज़दूरों कर्मचारियों ने हिस्सा लिया- केंद्रीय श्रम संगठन
दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि 26 नवंबर को बुलाई गई आम हड़ताल में 25 करोड़ से अधिक मज़दूरों और कर्मचारियों ने हिस्सा लिया, जो ऐतिहासिक है।
बयान के अनुसार, केंद्र सरकार की मज़दूर विरोधी किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ केंद्रीय ट्रेड यूनयिनों, स्वतंत्र संगठनों एवं महासंघ के विरोध प्रदर्शन के आह्वान पर देशभर के मजदूरों ने दृढ़ता पूर्वक जवाब दिया है।
दिल्ली के जंतर मंतर चौराहे पर केंद्रीय श्रम संघों के नेताओं अशोक सिंह (इंटक), अमरजीत कौर (एटक), हरभजन सिंह (एचएमएस), तपन सेन (सीटू), आरके शर्मा (एआई एक्टू), लता बिन (सेवा), संतोष राय (एक्टू), जेपी सिंह, एलपीएफ शत्रु जीत सिंह आदि ने अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ प्रतिरोध दर्ज कराया।
नेताओं ने कहा कि 26 नवंबर को बुलाई गई आम हड़ताल अभूतपूर्व रूप से सफल रही।
इस समय किसानों का सर्वोच्च संगठन ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोआर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी) ने मजदूरों की मांगों के प्रति अपना समर्थन दिया है।
देश के मजदूरों ने भी हाल ही में पास किए गए किसान विरोधी कानूनों के ख़िलाफ़ उनके प्रतिरोध के प्रति एकजुटता और समर्थन व्यक्त किया है।
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बयान में कहा गया है कि ‘देश भर में ग्रामीण क्षेत्रों में हड़ताल एवं प्रदर्शन का आयोजन किया गया। भाजपा सरकार द्वारा अंग्रेजी शासन के पद चिन्हों का अनुसरण करते हुए देश के मजदूरों और किसानों पर संविधान की अवहेलना कर किए जा रहे हमलों के जवाब में सरकार को पीछे धकेलने के लिए किसानों और मज़दूरों ने कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया है।’
ये संघर्ष इसलिए हो रहा है ताकि मज़दूरों और किसानों के अधिकार संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हो सके।
इस हड़ताल में देशभर के योजना कर्मचारियों, बिजली कर्मचारियों, निर्माण मज़दूर, ग्रामीण और शहरी भारत में मज़दूरों ने पुलिसिया प्रतिबंधों की नाफरमानी करते हुए पुरज़ोर प्रदर्शन किया।
देश के कई हिस्सों में मज़दूरों और कर्मचारियों ने मानव शृंखला बनाई। मुंबई, पुणे और महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और मानव शृंखला बनाने की सूचना है।
देशभर में ऑटो और टैक्सी चालकों ने सड़क पर सड़क बंद रखा। हालांकि रेलवे और कर्मचारियों ने हड़ताल के समर्थन में अपने-अपने प्रतिष्ठान और प्रदर्शन का आयोजन किया। केंद्र तथा राज्य सरकार के कर्मचारियों की हड़ताल में हड़ताल की सूचना है।
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मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के एसईसीएल के कोयला खदानों में पूरी तरह हड़ताल की सूचना है छत्तीसगढ़ के बालकों में शत-प्रतिशत बंदी का माहौल है। छत्तीसगढ़ में ही हड़ताल शत-प्रतिशत सफल होने की खबर है।
झारखंड में बीसीसीएल, सीसीएल और सीएमपीडीआई के कोयला मजदूरों ने बड़े पैमाने पर हड़ताल में भागीदारी की है। झारखंड राज्य में हड़ताल और बंद के व्यापक असर की सूचना है।
इस्पात क्षेत्र में विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के स्थाई और ठेका मज़दूर पूर्ण हड़ताल पर रहे और सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न इस्पात उद्योग में भी हड़ताल का असर रहा।
केरल, ओडिशा और पांडिचेरी राज्य में पूरी तरह बंदी प्रभावी रही। तमिलनाडु के 13 जिला पूर्णतया बंद रहे और औद्योगिक क्षेत्रों में हड़ताल और विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई हुई।
पंजाब और हरियाणा राज्य से प्राप्त सूचना के अनुसार, ट्रांसपोर्ट निगम की बस सेवा बंद है। बस डिपो में बंद रही।
दूरसंचार क्षेत्र में कर्मचारी हड़ताल पर रहे और ग्रामीण डाक सेवक भी पूरी तरह हड़ताल में शामिल रहे।
विभिन्न स्थानों पर एवं क्षेत्र के कर्मचारियों द्वारा हड़ताल में भाग लेने की सूचना है।
बयान में दावा किया गया है कि आठ जनवरी 2020 को राष्टव्यापी प्रदर्शन में लोगों की भागीदारी की तुलना में इस बार 25 करोड़ से अधिक लोगों ने हड़ताल में हिस्सा लिया।
हरियाणा में 26 और 27 नवंबर को किसान मार्च को विफल करने के लिए सरकार द्वारा किसान नेताओं की गिरफ्तारी की सूचना है। फिर भी किसान आगे बढ़ रहे हैं। उनके साथ मज़दूर खड़े होंगे और भारत सरकार को मज़दूरों किसानों पर हमले रोकना होगा या सरकार को गद्दी से जाना होगा।
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