चोर दरवाज़े से श्रम क़ानून बदलने वाली मोदी सरकार ने अब खुल कर हमले का बिगुल बजा दिया है
पिछले छह सालों से चोर दरवाज़े से हायर एंड फ़ायर नीति को बढ़ावा देने वाली मोदी सरकार ने आख़िरकार खुल कर मज़दूर विरोधी श्रम क़ानूनों को संसद में पेश कर ही दिया।
पहले के श्रम क़ानूनों को ख़त्म कर चार लेबर कोड में समेटने वाले क़ानूनों को शनिवार को श्रम मंत्रालय की ओर से लोकसभा में पेश कर दिया गया।
तीन श्रम विधेयकों में से एक में प्रावधान किया है गया है कि 300 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों को भर्ती और छंटनी की मनमानी छूट होगी। इन श्रम संहिताओं में हड़ताल को भी मुश्किल बनाने के साथ साथ ट्रेड यूनियन मान्यता को भी कठिन बना दिया गया है।
श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने विपक्ष के भारी विरोध के बीच इंडस्टि्रयल रिलेशन कोड बिल 2020, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी, 2020 और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड, 2020 को लोकसभा में पेश कर दिया।
लोकसभा में पेश इंडस्टि्रयल रिलेशन कोड, 2020 में प्रावधान किया गया है कि 300 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों को भर्ती या छंटनी के लिए सरकार से पूर्व अनुमति नहीं लेनी होगी।
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मौजूदा कानून में 100 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों को ही ऐसा करने की अनुमति है। इस साल की शुरुआत में संसदीय समिति ने 300 से कम स्टाफ वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने या कंपनी बंद करने का अधिकार देने की बात कही थी।
कमेटी का कहना था कि राजस्थान में पहले ही इस तरह का प्रावधान है। इससे वहां रोजगार बढ़ा और छंटनी के मामले कम हुए।
आसान किए श्रम कानून
लोकसभा में चर्चा के दौरान श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बताया कि 29 से ज्यादा श्रम कानूनों को सरकार ने चार कोड में समेट दिया है। इनमें कोड ऑन वेजेज बिल, 2019 को पिछले साल संसद ने पारित कर दिया था।
तीन कोड को अब लोकसभा में पेश किया गया है। गंगवार ने कहा कि इन विधेयकों को लेकर संबंधित पक्षों से व्यापक विमर्श हुआ है।
कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों ने इन तीनों विधेयक का विरोध किया। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि तीनों विधेयक इनके पुराने प्रारूप से पूरी तरह अलग हैं। इन्हें वापस लिया जाना चाहिए और पेश करने से पहले व्यापक विमर्श होना चाहिए।
इन कानूनों से कर्मचारियों के अधिकारों का हनन होगा। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि इंडस्टि्रयल रिलेशन कोड से कर्मचारियों के अधिकार कम होंगे। इसमें केंद्र एवं राज्यों की सरकारों को भर्ती-छंटनी की सीमा बढ़ाने का अधिकार भी दिया गया है।
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