मज़दूर नेता ने पी लिया पेट्रोल, चार दिन तक मैनेजमेंट करता रहा प्रताड़ित
लॉकडाउन के बाद कंपनियों में मज़दूरों की छंटनी, वेतन कटौती, उत्पीड़न, वेतन समझौता न करना और यूनियन तोड़ने की कोशिशें तेज़ हो गई हैं।
राजस्थान के एक मज़दूर नेता ने सोमवार को उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कंपनी गेट पर पेट्रोल पी कर खुद को आग लगाने की कोशिश की।
राजस्थान के अलवर जिले में बेहरोड़ इंडस्ट्रियल एरिया स्थित ऑटोनियम कंपनी के कर्मचारी और यूनियन के वाइस प्रेसिडेंट जितेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि कंपनी ने यूनियन को तोड़ने के लिए उनका दूसरे प्लांट में ट्रांसफर कर दिया था।
चार दिन तक मैनेजमेंट के साथ बैठक हुई। यूनियन ने इस ट्रांसफर को रद्द करने मांग रखी लेकिन सोमवार को जितेंद्र का गेट बंद कर दिया, जिसके बाद उन्होंने सुबह कंपनी के गेट पर आत्महत्या की कोशिश की।
अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंचे जितेंद्र ने वर्कर्स यूनिटी को फ़ोन पर बताया कि ‘कंपनी प्रबंधन की मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर उन्होंने अपनी जान देने की कोशिश की।’
जितेंद्र कहते हैं, “जब से नई मैनेजमेंट आई है श्रमिकों के अधिकारों पर लगातार हमला कर रही है। हम मज़दूरों की एकता को तोड़ना चाहती है।”
ऑटोनियम के श्रमिकों का यूनियन सीटू से संबद्ध है और जितेंद्र इस यूनियन के वाइस प्रेसिडेंट हैं।
उन्होंने बताया, “मैनेजमेंट ने हमारे यूनियन के अध्यक्ष को भी इसी तरह से प्रताड़ित कर कंपनी से बाहर निकाल चुकी है।”
पूरा घटनाक्रम
बीते सोमवार को जितेंद्र जब कंपनी पहुंचे तो उन्हें अंदर जाने की इजाज़त नहीं दी गई। उनसे कहा गया कि आपका ट्रांसफर टपूकड़ा प्लांट में कर दिया गया है। इस बात पर दोनों पक्षों में नोंकझोंक हुई और आक्रोषित होकर जितेंद्र ने अपनी बाइक से पेट्रोल लेकर पी लिया।
जितेंद्र ने खुद बताया कि गेट पर मौजूद उनके साथियों ने आग लगाने से रोका और उन्हें अस्पताल पहुंचाया।
अस्पताल में भर्ती कराने कंपनी के असिस्टेंट एचआर रवि यादव भी गए थे। दो दिन के इलाज़ का खर्च लगभग 15000 रुपये आया जिसका भुगतान कंपनी ने किया। इसके अलावा क़रीब 500 रुपये का खर्च जितेंद्र ने खुद उठाया।
जितेंद्र बताते हैं कि अस्पताल में भर्ती के दौरान कंपनी की तरफ़ से कोई भी मिलने नहीं आया।
जितेंद्र कंपनी के मैनेजमेंट के ऊपर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि प्लांट में कुल 80 वर्कर परमानेंट काम करते हैं और यूनियन होने के बावजूद मैनेजमेंट बात नहीं करता।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल मारुति में एक वर्कर ने रात्रि की पाली में अपना गला रेत कर आत्महत्या करने की कोशिश की थी।
बीते साल ही रेवाड़ी की एक फ़ैक्ट्री में यूनियन के प्रतिनिधि ने छत से छलांग लगा दी थी। उसका भी आरोप यही था कि कंपनी का मैनेजमेंट यूनियन पर बहुत ज़्यादा दबाव बना रहा था।
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