ना खाने का ठिकाना ना सोने का, फिर भी 10 दिनों से प्लांट में डटे हुए हड़ताली नपिनो वर्कर

ना खाने का ठिकाना ना सोने का, फिर भी 10 दिनों से प्लांट में डटे हुए हड़ताली नपिनो वर्कर

ना खाने का कोई ठिकाना और ना सोने का। इन कठिन परिस्थितियों के बाद भी नपिनो ऑटो एण्ड इलैक्ट्रॉनिक लिमिटेड यूनियन के स्थायी मज़दूर 14 जुलाई से लगातार प्लांट के अंदर रात-दिन हड़ताल कर रहे हैं।

आप को बता दें कि हरियाणा के मानेसर में स्थित नपिनो ऑटो एण्ड इलैक्ट्रॉनिक लिमिटेड यूनियन के स्थायी मज़दूरों की हड़ताल शुक्रवार को नौवें दिन भी जारी रही। प्लांट में कुल 271 स्थाई और अस्थाई मज़दूर काम करते हैं जिनमें 19 महिला मज़दूर भी शामिल हैं।

पिछले 10 दिनों से जारी इस हड़ताल में 241 मज़दूर ऐसे हैं जो प्लांट के अंदर 24×7 मतलब दिन रात हड़ताल कर रहे है।

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वहीं 30 मज़दूर ऐसे हैं जो प्लांट के बाहर बैठ कर हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं।

बाहर बैठे 30  मज़दूर वो हैं जो 14 जुलाई के दिन छुट्टी पर थे। उन्हें मैनेजमेंट अंदर नहीं जाने दे रहा है।

प्लांट के अंदर स्थित कैंटीन हैं बंद

जहां इतने बड़ी संख्या में मज़दूर प्लांट के अंदर हड़ताल कर रहे हैं, वहां उनके खाने पीने का भी कोई ठिकाना नहीं हैं।

नपिनो में पिछले 10 दिनों से मैन्युफैक्चरिंग का काम बिलकुल ठप्प है। यहां तक के प्लांट के अंदर स्थित कैंटीन भी बंद हैं। इन सभी परेशानीओं के साथ भी मज़दूर अपनी हड़ताल को ख़त्म करने के मूड में बिलकुल भी नहीं हैं।

वर्कर्स यूनिटी से बातचीत के दौरान प्लांट के अंदर हड़ताल कर रहे यूनियन के सदस्य परशुराम ने कहा, “मैनेजमेंट अपने सभी हथकंडे अपना रहा हैं कि हम हड़ताल बंद कर दें। पिछले 10 दिनों से लगातार जारी इस हड़ताल में शामिल सभी मज़दूरों के लिए बाहर से खाना आता है, मैनेजमेंट के अधिकारियों ने कैंटीन को पूरी तरह से बंद कर दिया है।”

“जिसके कारण खाने पीने में काफी मुश्किलों का सामना करा पड़ रहा है। इसके बावजूद भी हमारे साथी मज़दूर अपनों मांगों को पूरा करने के लिए युद्ध के मैदान पर लगातार टिके हुए हैं।”

रेहड़ी पटरी के खाने पर कर रहे गुजारा

साथ ही उन्होंने बताया कि, “हम लोग पिछले 10 दिनों से कभी चने तो कभी रेहड़ी पटरी पर बिकने वाले खाने को साथियों से मंगा कर खा लेते हैं।”

“इससे भी मैनेजमेंट को दिक्क्त है, इसलिए बाहर बैठे हमारे साथी मज़दूर हम लोगों को छुप कर खाना पहुंचाते हैं। इसकी तरह हम लोगों को कपड़े भी मिल जाते हैं। मज़दूरों के खानेपीने का सारा खर्च यूनियन उठा रही है।”

हमारे पूछने पर कि क्यों कोई भी मज़दूर बाहर नहीं निकल रहा है, परशुराम बताते हैं, “जब से हड़ताल शुरू हुई है तब से अभी तक एक भी साथी मज़दूर बाहर नहीं गया है, क्योंकि सभी मज़दूरों को मालूम है कि अगर वो एक बार बाहर चले गए तो मैनेजमेंट उनको अंदर नहीं आने देगा।”

साथ ही उन्होंने कहा कि अभी तक हड़ताल कर रहे एक भी मज़दूर ने बाहर जाने का जिक्र तक नहीं किया है।

“हमारे साथ इस हड़ताल में महिलाएं भी शामिल हैं, उन्होंने भी अपनी शक्ति का जोर दिखाया है और हमारे साथ खड़ी हैं।”

ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन के सदस्य, श्याम का कहना हैं , “शुक्रवार को DLC में संगठन को मुलाकात करने का भरोसा दिया था लेकिन शाम तक उनकी तरफ से मीटिंग की कोई सूचना नहीं आई।”

“इसका मतलब यह है कि मैनेजमेंट और प्रसाशन, दोनों मिल कर हम मज़दूरों को झूठा आश्वासन दे रहे हैं।”

क्या है पूरा मामला

गौरतलब हैं कि नापिनो मज़दूरों की इस लड़ाई में सभी ट्रेड यूनियन भी अपना समर्थन दिखाते हुए आगे आए हैं।

आज दोपहर एक बजे कमलानेहरू पार्क में मानेसर स्थित सभी ट्रेड यूनियनों की एक बैठक का आयोजन किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि मानेसर स्थित सेक्टर 3 के प्लॉट नम्बर 7 में स्थित नपिनो ऑटो एण्ड इलैक्ट्रॉनिक लिमिटेड यूनियन के स्थाई मज़दूर पिछले 4 सालों से लम्बित सामूहिक मांग पत्र को लागू करवाने करने के लिए लगातार नो दिनों से हड़ताल कर रहे हैं।

नापिनो यूनियन के सदस्यों का कहना है कि हमारी मांगों के मुद्दे पर प्रबन्धन और लेबर डिपार्टमेंट व शासन-प्रशासन कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर रहे हैं, ऐसे में स्थिति को देखते हुए अब नपिनो के मज़दूरों को अपने संघर्ष को जीत तक पहुँचाने के लिए चारों प्लांटों में काम पूरी तरह से बंद करना पड़ा है।

क्या हैं यूनियन की मांगे?

  • चार साल से लम्बित सामूहिक मांगपत्र को जल्दी से जल्दी लागू किया जाए।
  • निलंबित किये गए 6 मज़दूर साथियों कि तुरंत कार्य बहाली कि जाए।
  • लेबर डिपार्टमेंट, स्थानीय प्रशासन और हरियाणा सरकार इसमें हस्तक्षेप करके यह ज़िम्मेदारी ले कि मज़दूरों की सभी जायज़ माँगें मानी जाए।

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WU Team

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