मोदी-योगी सरकार की श्रम नीतियों के ख़िलाफ़ बीएमएस छोड़ सभी ट्रेड यूनियनें विरोध में उतरीं
By आशीष सक्सेना
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर उत्तरप्रदेश के बरेली में बीएमएस को छोड कर बाकी सभी ट्रेड यूनियनों ने केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की योगी सरकार को आड़े हाथों लिया।
ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं ने नारेजबाजी के साथ श्रम विभाग के दफ्तर में प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया।
ग़ौरतलब है कि श्रम क़ानूनों में बदलाव और मज़दूर वर्ग पर हमले के ख़िलाफ़ तीन जुलाई को पूरे देश में ट्रेड यूनियनों ने प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के केंद्रीय कमेटी सदस्य राजीव शांत ने कहा कि आज पूरा देश कोविड -19 महामारी का मुकाबला कर रहा है, लेकिन सरकार और पूंजीपति इसको अवसर करार देकर लोगों का जीना मुहाल किए है। पहले से ही खराब चल रही अर्थव्यवस्था और ज्यादा खराब हो गई है।
इंटक के प्रदेश उपाध्यक्ष सतीश मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कोविड 19 महामारी से लडऩे और अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिये आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, जो सरासर खोखला वादा है।
सभी दस केंद्रीय श्रम महासंघों (भारतीय मजदूर संघ को छोडक़र सभी) का मानना है इस पैकेज से न तो अर्थव्यवस्था सुधरेगी न ही देश के आम मजदूर ,खेत मजदूर, गरीब किसान जनता की हालत सुधरेगी।
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सीटू के जिलाध्यक्ष मुहम्मद इसरार ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकारों द्वारा कोविड 19 महामारी का लाभ उठाकर श्रम कानूनों में संशोधन की एकतरफा चाल चल दी गई है।
जिसमें पूंजीपतियों को पूरी छूट ,बिजली कानून में संशोधन, मंडी कानून में परिवर्तन सभी के लिए मुसीबत हैं। श्रमिक नेताओं ने कहा कि अपनी नीतियों से देश पर प्रदेश की सरकार बेनकाब हो रही है।
इस मौके पर स्थानीय स्तर के उद्योगों, निजी अस्पताल, होटल मालिकों द्वारा मजदूरों के शोषण के खिलाफ भी आक्रोश जताया गया।
प्रदर्शन में निक्टू के जिलाध्यक्ष मुहम्मद असरार, एटक के जिलामंत्री विराट कनौजिया आदि मौजूद रहे।
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