यूपी: लॉकडाउन में खाने को तरस गया मजदूर परिवार, 10 दिनों से नहीं मिला अन्न का एक दाना

यूपी: लॉकडाउन में खाने को तरस गया मजदूर परिवार, 10 दिनों से नहीं मिला अन्न का एक दाना

मजदूर वर्ग लगातार लॉकाडाउन के भयावह परिणामों का शिकार हो रहा है। ऐसा ही एक दिल पसीज देने वाला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से सामने आया है। जहां पर एक परिवार करीब दो माह से भूखा है।

5 बच्चे और महिला समेत पूरे परिवार को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। इस झकझोर देने वाले मामले ने हर किसी को हिला कर रख दिया है। एक महिला और उसके 5 बच्चे 2 महीने से खाने के लिए तरस गए।

महिला की सबसे बड़ी बेटी जिसकी शादी हो चुकी है उसको और उसके पति को जब पता चला कि घर में सबकी तबीयत खराब है तो महिला का दामाद परिवार को जिला अस्पताल में भर्ती करा आया, लेकिन उन लोगों की भी माली हालत ठीक नहीं है, मलखान सिंह जिला अस्पताल के वार्ड नंबर 8 में भर्ती होने के बाद किसी तीमारदार द्वारा एनजीओ को फोन से सूचना दी गई जिसके बाद हॉस्पिटल में ही एनजीओ पहुंचा और उसने इन लोगों की मदद की है।

बताया जा रहा है कि छह सदस्यों के इस परिवार को किसी ने कुछ रोटियां दे भी दीं तो ये लोग उन्हें खाकर और पानी पीकर गुजारा करते रहे।अब नौबत यहां तक आई गई कि इस परिवार ने पिछले 10 दिनों से अन्न का एक दाना तक नहीं खाया।

भूखे रहने से पूरे परिवार की तबीयत खराब हो गई और एक एनजीओ की मदद से इन्हें मलखान सिंह जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।

40 वर्षीय महिला का कहना है कि दो माह पहले उसके पति की मौत हो गई थी। जिसके बाद से पूरा परिवार खाने के एक एक दाने के लिए तरस रहा है।

महिला के परिवार में चार लड़के और एक लड़की है, जिसकी उम्र 13 वर्ष है। इसके अलावा बड़ा बेटा 20, दूसरा 15, तीसरा 10 और सबसे छोटा बच्चे की उम्र 5 साल है।

महिला ने बताया कि उसके पति विनोद की बीते वर्ष 2020 में लॉकडाउन से दो दिन पहले ही गंभीर बीमारी के चलते मृत्यु हो गई थी।

जिसके बाद परिवार का पेट पालने के लिए उसने एक फैक्ट्री में 4 हजार रुपये की नौकरी शुरू कर दी। फिर लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री भी कुछ समय बाद बंद हो गई। इसके बाद उसने जगह जगह काम ढूंढा लेकिन उसने कहीं पर कोई काम नहीं मिला।

धीरे-धीरे घर में रखा राशन भी खत्म होने लगा और स्थिति इतनी खराब हो गई कि इस परिवार को लोगों द्वारा दिए जाने वाले पैकेट पर निर्भर रहना पड़ा।

लॉकडाउन खुलने के बाद इस परिवार के बड़े बेटे ने मजदूरी शुरू की। जिस दिन काम मिल जाता उस दिन राशन पानी आ जाता और जब काम नहीं होता तो भूखे रहना पड़ता।

खाने-पीने की कमी के चलते पूरा परिवार दिन पर दिन कमजोर होता गया और 13 साल की बेटी की तबीयत खराब होने लगी। धीरे-धीरे परिवार के अन्य सदस्य भी बीमारी की चपेट में आते चले गए।

कोरोना की दूसरी लहर की वजह से लॉकडाउन हो गया और बड़े बेटे को काम मिलना बंद हो गया। स्थिति धीरे-धीरे खराब होती चली गई।

पीड़ित परिवार का कहना है कि पिछले दो माह उन्हें भरपेट खाना तक नहीं मिला है. परिवार के सभी सदस्यों को बुखार और अन्य बीमारियों ने घेर लिया है. जिसके चलते घर से निकलना बंद हो गया।

आस पड़ोस के लोग जो भी खाने के लिए दे देते बस उसी से काम चला लिया करते थे, नहीं तो पानी पीकर सो जाते थे।

वहीं इस मामले में मलखान सिंह जिला अस्पताल की इमरजेंसी इंचार्ज डॉक्टर अमित ने बताया कि एक महिला और उसके पांच बच्चों को वार्ड नंबर 8 में भर्ती कराया गया है।

पिछले दस दिनों से उन लोगों ने कुछ नहीं खाया जिसकी वजह से उनकी तबीयत बहुत खराब है। इनका इलाज किया जा रहा है। फिलहाल परिवार के सभी सदस्यों की हालत ठीक नहीं है। तीन 3 बच्चों की हालत क्रिटिकल है, जल्द ही उन्हें रिकवर कर लिया जाएगा।

(साभार- आज तक)

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

Amit Singh

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.