आंगनबाड़ी से कराया जा रहा है खुले में शौच करने वालों को टार्च मार कर, सीटी बजाकर भगाने काम

आंगनबाड़ी से कराया जा रहा है खुले में शौच करने वालों को टार्च मार कर, सीटी बजाकर भगाने काम

आज भी 2250 रु. से लेकर 4500 रु. महीने मानदेय पाने वाली आंगनबाड़ी वर्करों से सरकार किस तरह के काम करने पर मजबूर कर रही है ये सुनकर कोई भी हैरान रह जाएगा।

हाल ही में गुजरात सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत आंगनबाड़ी वर्कर्स को एक अजीबो गरीब काम सौंपा है। आंगनबाड़ी वर्कर को एक सीटी और टॉर्च देकर खुले में शौच करने वालों को सीटी बाजा कर और टॉर्च दिखा कर भगाने का काम करने पर मजबूर किया गया।

ऐसा ही एक काम पंजाब सरकार ने महिला वर्कर्स को सौंपा जिसमें आगनबाड़ी वर्कर्स को इस बात की जानकारी इकट्ठा करनी थी कि पंजाब में युवाओं द्वारा किस-किस प्रकार का नशा किया जाता है।

आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स फडरेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष उषा रानी कहती हैं कि वर्तमान देश के कुछ राज्यों कि सरकार ऐसी भी हैं जो आंगनबाड़ी महिला वर्कर्स से ऐसे ऐसे काम करवा रहीं हैं जिनको एक महिला वर्कर को करना काफी मुश्किल है।

ऐसे ऐसे अजीबो गरीब नियम बताते हैं कि राज्यों कि सरकार महिलाओं के लिए कितनी संवेदनशील हैं।

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

आंगनबाड़ी योजना को भिखारी योजना बनाने पर तुली सरकार

अभी पिछले महीने देश की राजधानी में देश भर से आई आंगनबाड़ी वर्कर्स का जमावड़ा था। अपनी मांगों और समयस्यों के मुद्दों को ले कर जंतर मंतर पर विशाल प्रदर्शन का आयोजान किया गए था। सभी वर्कर्स ने अखिल भारतीय आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स फडरेशन के बैनर तले अपनी मांगे रखी थी।

वर्कर्स यूनिटी से खास बातचीत में  उषा रानी ने बताया कि 25 अप्रैल 2022 को सुप्रीमकोर्ट का एक आदेश आया था जिसमें कहा गया था कि एक्ट 1972 के तहत, आंगनबाड़ी वर्कर एक पार्ट टाइम वर्कर नहीं है वो फुल टाइम वर्कर हैं वो वेतन और ग्रेज्युटी की हक़दार हैं।

साथ ही कोर्ट ने एक विशेष बात भी कही है कि देश में आंगनबाड़ी हेल्पर और वर्कर की हालत अच्छी नहीं है जिसके विषय में भारत सरकार को उनके बारे में सोचना चाहिए। उषा का कहना है की यह बड़ी दुःख की बात है की आर्डर को आये हुए तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन इम्प्लीमेंट होना तो दूर की बात है अभी तक केंद्र सरकार ने राज्यों को निदेर्श भी नहीं दिया है की इसको इम्प्लीमेंट किया जाना चाहिए।

उनका आरोप है कि जो भी नियम हमारे विरोध में आते है उसको भारत सरकार तुरंत इंम्प्लिमेंट कर देती है और जो हमारे हक़ में कोई आर्डर आते हैं उनको अधर में ही छोड़ दिया जाता है। उनका कहना है कि पोषण अभियान के नाम पर सरकार करोड़ों रुपए विज्ञापनों पर खर्च कर रही है वहीं दूसरी तरफ आंगनबाड़ी वर्कर्स के लिए बजट में बड़ोत्तरी नहीं की गई है।

उषा ने बताया की सरकार पोषण अभियान के नाम पर सरकार आंगनबाड़ी वर्कर्स के बड़ी बड़ी फोटो खिंचवा कर भारी मात्रा में प्रचार कर रही है। लेकिन आंगनबाड़ी योजना को वो भिखारी जैसा बना देने पर तुल गई है।

मध्य प्रदेश में पोषण अभियान को ‘मटका पोषण’ का नाम दिया गया है जिसके अंदर आंगनबाड़ी वर्कर्स के एक प्रकार कि भीख मांगने के लिए मज़बूर किया गया है।

मटका पोषण के नाम पर हाथ खींच रही सरकार

सरकार का आदेश है कि हर आंगनबाड़ी सेण्टर पर पांच मटके रखे जायेंगे। सभी मटकों में गावं से मांग कर अनाज भरने के काम भी आंगनबाड़ी वर्कर्स द्वारा ही किया जायेगा। इसके बाद इकठ्ठा हुए अनाज को बाजार में बेच कर मिले रुपयों से आंगनबाड़ी सेंटर के लिए तेल और सामान ले कर आने और फिर उससे आंगनबाड़ी चलाने का तुगलकी फरमान है।

उनका कहना है कि अब सरकार पोषण अभियान के नाम पर केवल दिखावा कर रही है। उषा रानी का कहना है कि इस तरह से सरकार ने आंगनबाड़ी वर्कर्स को ‘इंटरनेशनल भिखारी’ बना दिया है।

उनका आरोप है कि एक आंगनबाड़ी वर्कर से जितना काम करवाया जाता है उसके हिसाब से उसको मानदेय भी नहीं दिया जाता। पोषण अभियान के नाम पर सरकार ने आंगनबाड़ी वर्कर्स के ऊपर काम का अतिरिक्त भार डाल दिया है।

अब एक आंगनबाड़ी वर्कर एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS), समेकित बाल संरक्षण योजना (ICPS), मातृ वंदना योजना, बाल किशोरी योजन, बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ये सभी काम एक वर्कर द्वारा किया जाये। जिसके बाद भी भारत सरकार आंगनबाड़ी वर्कर को कर्मचारी मानाने को तैयार नहीं है।

गौरतलब है कि देश में कुल 27 लाख आंगनबाड़ी वर्कर और हेल्पर काम करती हैं। 47 सालों बाद भी आंगनबाड़ी वर्कर को सरकार कर्मचारी तक मानाने को तैयार नहीं है। और अगर जंगमबाड़ी वर्कर के वेतन कि बात करें तो 4500 रुपए प्रति महा दिया जाता है वहीं हेल्पर को मात्र 2250 रुपए सहायक राशि दी जाती है। वर्तमान में  पुर देश में कुल 13,26000 आंगनबाड़ी सेंटर कार्यरत हैं।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

WU Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.