आशा वर्करों का मानदेय 10 हज़ार रुपये होना चाहिएः प्रियंका गांधी

आशा वर्करों का मानदेय 10 हज़ार रुपये होना चाहिएः प्रियंका गांधी

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाँधी ने कहा है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो आशा वर्करों का मानदेय बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रति माह किया जाएगा।

असल में शाहजहाँपुर में प्रदर्शन के दौरान पुलिस पिटाई की शिकार आशा वर्कर प्रियंका गांधी से मुलाक़ात करने लखनऊ उनके आवास पहुंची थीं।

यूपी कांग्रेस के मीडिया विभाग के वाइस चेयरमैन डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने एक बयान जारी कर कहा है कि प्रियंका गाँधी गुरुवार दोपहर लखनऊ पहुंची थीं और उसके तुरंत बाद आशा वर्करों से मुलाक़ात की। इनमें कुछ बुरी तरह घायल थीं और उनके हाथ में प्लास्टर भी बंधा था।

ख़बर के अनुसार, आशा वर्करों को  2018 से अपना बक़ाया नहीं मिला है जिसकी माँग को लेकर वे दो दिन पहले शाहजहाँपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने जा रही थीं, लेकिन उन्हें पुलिस ने रास्ते में रोककर बुरी तरह पीटा।

आशा वर्करों ने बताया कि ‘पिटाई करने वालों में महिला ही नहीं पुरुष पुलिसकर्मी भी थे। उनकी जिस तरह पिटाई की गयी, वैसा तो जानवरों को भी नहीं पीटा जाता।’

आशा वर्करों का कहना था कि उन्होंने कोरोना काल में घर-घर जाकर दवाइयाँ और रिपोर्ट बाँटीं, लेकिन बदले में योगी सरकार ने ये ईनाम दिया। यही नहीं, दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने की बजाय उलटे आशा वर्करों के ख़िलाफ़ ही विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज करा दी गयी है।

प्रियंका गाँधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आशा वर्करों की क़ानूनी लड़ाई में पूरी मदद करेगी। उन्होंने कहा कि ‘कोरोना काल में आशा बहनों ने अपनी जान जोखिम में डालकर पीड़ित जनों की मदद की। इसके लिए उन्हें सरकार से अतिरिक्त सराहना मिलनी चाहिए थी, लेकिन संवेदनहीन सरकार उनकी पिटाई कर रही है। आशा बहनों पर किया गया एक-एक वार उनके समर्पण और निष्ठा का अपमान है।’

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Workers Unity Team

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