पिंजरा तोड़ एक्टिविस्ट नताशा नरवाल को मिली जमानत, हाईकोर्ट ने कहा- विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं
जेएनयू स्टूडेंड और ”पिंजरा तोड़” एक्टिविस्ट नताशा नरवाल और उनके साथियों को दिल्ली हाईकोर्ट के द्वारा जमानत मिल गई है।
नताशा नरवाल को जमानत देते हुए कोर्ट ने सरकार के रवैये पर सख्त टिप्पणी की है।
हाईकोर्ट ने कहा, ”हम ये कहने के लिए मजबूर हैं कि असहमति की आवाज को दबाने की जल्दबाजी में सरकार ने संविधान की ओर से दिए गए विरोध-प्रदर्शन के अधिकार और आतंकवादी गतिविधियों के अंतर को खत्म सा कर दिया है। विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं है।’
जमानत इस आधार पर दी गई है कि वह अपना पासपोर्ट सरेंडर करेंगी और ऐसी किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं होंगी जिससे जांच किसी भी तरह से प्रभावित होती हो।
गौरतलब है कि नताशा को सीएए के विरोध में दिल्ली दंगों में योजना के तहत शामिल होने के आरोप में मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को दंगा भड़क गया था। इस सांप्रदायिक हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी वहीं 200 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।
दिल्ली दंगा मामले में जेल में बंद आरोपी नताशा नरवाल के साथ ही देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा को भी जमानत दे दी गई है।
गौरतलब है कि नताशा नारवाल और देवंगाना कलिता, दिल्ली स्थित महिला अधिकार ग्रुप ‘पिंजरा तोड़’ के सदस्य हैं जबकि आसिफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया का स्टूडेंट है।
नताशा को पिछले साल मई में दिल्ली पुलिस ने अरेस्ट किया था। उन पर आरोप है कि वे सीएए/एनआरसी के आंदोलन के दौरान पिछले साल फरवरी महीने में होने वाले दंगों के पीछे की साजिश में शामिल रही हैं। उनपर UAPA के चार्जेस लगाए गए हैं।
वहीं नताशा नारवाल को पिछले माह अपने पिता महावीर नारवाल के अंतिम संस्कार के तीन हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत मंजूर की गई थी। महावीर, कम्युनिस्ट पार्टी के सीनियर मेंबर थे और कोरोना वायरस के संक्रमण में आने के कारण उनकी मौत हो गइ थी। वह 31 मई को, आदेश के मुताबिक जेल वापस लौटी थीं।
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