नताशा नरवाल को पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मिली 3 हफ्ते की अंतरिम जमानत
दिल्ली हाईकोर्ट ने ”पिंजरा तोड़” एक्टिविस्ट नताशा नरवाल को तीन हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत दी है। उन्हें यह जमानत अपने पिता महावीर नरवाल के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मिली है। रविवार को कोरोना से उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। कोर्ट ने नताशा को 50 हजार रुपए के मुचलका और अपना फोन नम्बर संबंधित थाना प्रभारी को देने का निर्देश दिया है।
आखिरी समय में बेटी से नहीं हो पाई बात
नताशा के पिता वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने नताशा की जमानत के लिए अर्जी दी थी। मौत से पहले वह अपनी बेटी से नहीं मिल पाए। पिता की मौत के बाद नताशा ने हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत की अर्जी दी जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। कोर्ट ने नताशा को अपना फोन नम्बर दिल्ली पुलिस के अपराध शाखा और स्पेशल सेल के अलावा रोहतक थाना के प्रभारी को देने को कहा है जहां उनका घर है।
फिलहाल तिहाड़ जेल में हैं नताशा
नताशा की गिरफ्तारी पिछले साल मई महीने में हुई थी। उन पर आरोप है कि वे एनआरसी-सीएए के आंदोलन के दौरान पिछले साल फरवरी महीने में होने वाले दंगों के पीछे की साजिश में शामिल रही हैं। उनपर यूएपीए के चार्जेस लगाए गए हैं। फिलहाल वो अभी दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।
भाई पहले से है कोरोना पॉजिटिव
कोर्ट में नताशा की वकील अदिति पुजारी ने कहा, ”महावीर नरवाल ने कल शाम 6 बजे अस्पताल में अंतिम सांस ली। नताशा का भाई कोरोना संक्रमित होने के चलते पहले से आइसोलेशन में है। इस वजह से महावीर नरवाल का अंतिम संस्कार करने के लिए उनके परिवार में कोई नहीं है।”
कोर्ट ने जमानत को माना जरूरी
कोर्ट ने भी माना कि दुख की इस घड़ी में नताशा की जमानत जरूरी है। वहीं कोर्ट ने रोहतक स्थित अस्पताल को भी यह निर्देश दिया है कि नताशा नरवाल के पहुंचकर शरीर को लेने तक वह इंतजार करे। इस अंतरिम जमानत को लेकर दिल्ली पुलिस ने किसी भी तरह का कोई विरोध नहीं किया है। हालांकि, यह जरूर कहा है कि वह केस से जुड़े किसी भी तरह की ट्वीट नहीं कर सकती है।
अपनी बेटी से बात तक नहीं कर पाए महावीर
ऐसी जानकारी भी सामने आई है कि, ‘महावीर नरवाल जेल में बंद अपनी बेटी से बात तक नहीं कर पाए। उनका बेटा आकाश जो खुद भी कोरोना पॉजिटिव था अपने पिता के साथ रोहतक में था।’
”सिस्टम ने एक बेटी को अन्यायपूर्ण तरीके से जेल में डाला हुआ है”
सीपीआई एम की पोलित ब्यूरो सदस्य बृन्दा करात ने कहा, ‘मैं नताशा और उनके भाई आकाश के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करती हूं। सिस्टम ने एक बेटी को अन्यायपूर्ण तरीके से जेल में डाला हुआ है जो अपने पिता के अंतिम दर्शन तक नहीं कर सकी।’ गौरतलब है कि वामपंथी एक्टिविस्ट और सिविल सोसायटी ने पिछले दिनों मांग की थी कि कोरोना वायरस केस में तेजी से हो रहे इजाफे को देखते हुए राजनीतिक कैदियों को जेल से रिहा कर दिया जाना चाहिए।