कीहिन फ़ी में समझौते की ख़बर सच नहीं, कमेटी की महिलाएं अभी भी गेट पर डटी हुईं
हरियाणा के बावल में 16 दिनों से दिन रात धरने पर बैठी महिलाओं के साथ मैनेजमेंट चालें कामयाब होती नज़र आ रही हैं। बुधवार को ख़बर फैलाई गई कि समझौता हो गया है और वेतन वृद्धि पर भी सहमति बन गई है। अंडरटेकिंग भर कर महिलाएं काम पर वापस लौट गई हैं।
इस अफवाह में वर्कर्स यूनिटी से भी ग़लती हुई और हमने वो ख़बर छाप दी। हम इसके लिए खेद प्रकट करते हैं। हमने जब काफ़ी कोशिश के बाद वर्किंग कमेटी की सदस्यों से बात की तो पता चला कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ है, हां कमेटी की सदस्यों को छोड़कर बाकी महिलाएं गुड कंडक्ट बांड भरकर अंदर चली गई हैं।
असल में ये ख़बर बहुत चालाकी से लिखी गई थी और अफ़वाह फैलाने के लिए इसमें आधे सच की आड़ में आधा झूठ परोसा गया था, जिसके झांसे में बहुत से लोग आ गए। जब हमने कमेटी की अगुवा महिला मज़दूर नेताओं से बात की तो उन्होंने बताया कि कोई भी समझौता नहीं हुआ है और ना ही वेतन वृद्धि पर मैनेजमेंट माना।
कमेटी की सदस्य भतेरी देवी ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि उनका मामला चंडीगढ़ लेबर कमिश्नर के पास चल रहा है और उनके कहने पर ही बाकी महिला मज़दूरों को अंडरटेकिंग भर कर अंदर जाने को कहा गया। लेकिन अभी 10 महिला मज़दूर गेट के आगे धरने पर बैठी हैं।
कंपनी में गई एक महिला मज़दूर ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर बताया कि वो काम पर लौटना नहीं चाहती थीं लेकिन कमेटी के कहने पर ही वो अंदर गई हैं। मंगलवार को सुबह ये सारी महिलाएं गुड कंडक्ट बांड भरकर काम पर लौटीं, जिसमें लिखा था कि वो सभी अनुशासन के साथ काम करेंगी और कंपनी का अनुशासन मानेंगी।
लेबर कमिश्नर पर दबाव डालने का आरोप
इस महिला ने बताया कि लेबर कमिश्नर ने दबाव डालकर महिला मज़दूरों को अंदर जाने को कहा। जबकि कोई समझौता नहीं हुआ, ना ही वेतन वृद्धि से संबंधित कोई सहमति बनी और ना ही सस्पेंड की गई महिला मज़दूरों को अंदर लिया गया।
उनके अनुसार, उन्हें ये वादा कर कंपनी में काम पर लौटने को कहा गया कि इससे समझौता करने में आसानी होगी, ‘हम काम पर वापस लौटने वाले नहीं थे, लेकिन जब कमेटी मेंबर ने कहा तब हम लौटे।’
जब हमने कमेटी की मेंबर भतेरी देवी से बात की तो उन्होंने इसकी तस्दीक करते हुए बताया, ‘एडिशनल लेबर कमिश्नर ने पूछा कि बाकी लोग क्यों नहीं काम पर लौटे हैं तो हमने किसी तरह बाकी महिला साथियों को अंदर जाने को कहा।’
भतेरी देवी कहती हैं, “लड़कियां जा रहीं रही थीं, लेकिन एडिशनल लेबर कमिश्नर ने ज़बरदस्ती करके उन्हें अंदर जाने को कहा। जो गई हैं वो अंदर रो रही हैं और कह रही हैं कि हम कल फिर वापिस धरने पर आएंगे।”
उन्होंने कहा कि ‘उनका कोई समझौता नहीं हुआ है और 10 मार्च को फिर एएलसी के साथ मीटिंग है। मैनेजमेंट ये झूठा प्रचार करवा रहा है कि समझौता हो गया है, ताकि महिला मज़दूरों में फूट पड़ जाए और कमेटी के सदस्य अलग थलग पड़ जाएं।’
वो कहती हैं, “हमारी समझौता वार्ता की तारीख़ 10 मार्च को लगी हुई है और अभी तक समझौते की तो कोई बात भी नहीं हुई है। ना ही पैसे की बात हुई, न सस्पेंडेड लड़कियों के अंदर जाने की बात हुई है। पता नहीं ऐसी अफ़वाह क्यों फैलाई जा रही है।”
अंडरटेकिंग भरने से डरी हुई हैं महिलाएं
भतेरी देवी का कहना है कि ‘जिन महिला मज़दूरों ने अंडरटेकिंग भर कर अंदर जाने पर सहमति दी है, वो इस बात से डरी हुई हैं कि इसी अंडरटेकिंग को दिखा कर मैनेजमेंट उनके ख़िलाफ़ कार्यवाही कर सकता है। लेकिन उन्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं क्योंकि इसकी कोई क़ानूनी मान्यता नहीं है।’
भतेरी देवी ने बताया, “हमारा मामला चंडीगढ़ लेबर कमिश्नर के पास चल रहा है। लेबर अधिकारी ने कहा कि आपकी बाकी लड़कियां काम पर क्यों नहीं जा रही हैं, उन्हें भेजिए। हमने बाकी लड़कियों से बात की तो वो वापस जाने को तैयार नहीं थीं। फिर हमने उन्हें मनाया, हाथपैर जोड़े और कहा कि लेबर कमिश्नर ने कहा है तो आप लोग हमारी बात रखें और अंदर जाएं। इस बात पर वो अंदर चलीं तो गईं लेकिन वहां वो रो रही हैं और कह रही हैं कि आप लोग आओगे तभी हम आएंगे। हम कल से नहीं काम पर नहीं आएंगे।”
वो कहती हैं, ‘पता नहीं क्या होगा। लेकिन समझौते की अफ़वाह कौन फैला रहा है क्यों, इसकी हमें कोई जानकारी नहीं है।’
गौरतलब है कि जिन कंपनियों में लॉकडाउन के चलते सालभर तक वेतन समझौते में देरी हुई है, वहां श्रमिक असंतोष उभर रहा है। अभी दो दिन पहले ही मानेसर के सेक्टर तीन में स्थित सत्यम ऑटो में भी मज़दूर कंपनी के अंदर ही हड़ताल पर बैठ गए थे। हालांकि उनका समझौता 24 घंटे के अंदर ही हो गया।
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