कमीशनखोरी के लिए नहीं दिया जा रहा वेतन
उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी 181 आशा ज्योति वूमेन हेल्पलाइन के 351 कर्मियों के एक साल से बकाया वेतन के भुगतान व उन्हें नौकरी से निकालने पर रोक लगाने की मांग पर आज पूर्व सांसद और जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषिनी अली और वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने मुख्यमंत्री को ई-मेल द्वारा अलग-अलग पत्र भेजा।
पत्र में वेतन भुगतान में कमीशनखोरी के कारण हो रहे विलंब को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाते हुए उनसे इस मामले में व्यक्तिगत तौर पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया गया।
पत्र में कहा गया कि 181 वूमेन हेल्पलाइन उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजना थी, जिसे मुख्यमंत्री ने अपने शपथ लेने के बाद 100 दिन के काम में शामिल किया था। लेकिन दुखद यह है कि इस योजना में सरकार द्वारा इस वित्तीय वर्ष में महज एक हजार रुपये ही आवंटित किया गया और पिछले वित्तीय वर्ष का आवंटित धन खर्च ही नहीं किया गया।
परिणाम स्वरूप इसमें काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन का भुगतान न हो सका। इतना ही नहीं बिना किसी सरकारी आदेश और विधि के विरुद्ध जाकर इन कर्मियों को कोरोना महामारी के इस संकटकालीन समय में सेवा प्रदाता कम्पनी ने सेवा से पृथक करने की नोटिस थमा दी है और अब उन्हें डीपीओ द्वारा कार्यालय जाने पर भी रोका जा रहा है।
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इस संकटकालीन दौर में वेतन न मिलने और नौकरी जाने से यह महिलाएं बेहद अवसाद में हैं और यही वजह है कि पिछले दिनों उन्नाव में कार्यरत कानपुर की रहने वाली आशा ज्योति कर्मी आयुषी सिंह ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी। अन्य महिला कर्मी भी ऐसी ही परिस्थितियों से गुजर रही हैं।
पत्र में मुख्यमंत्री से ही यह उम्मीद जताई गई कि वह व्यक्तिगत तौर पर इस मामले को संज्ञान में लें और तत्काल प्रभाव से वेतन भुगतान कराना व सेवा से पृथक करने की कार्यवाही रद्द करना सुनिश्चित करें। पत्र पर जनवादी महिला संगठन की नेता मधु गर्ग, नीलम तिवारी आदि ने भी हस्ताक्षर किए।
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