महिला दिवस पर सार्वजनिक अवकाश क्यों नहीं, महिलाओं ने किया प्रदर्शन
पूरी दुनिया में हर साल आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है लेकिन आज तक इस दिन अवकाश की घोषणा नहीं की गई। इस मांग को लेकर समय समय पर महिला संगठन आवाज़ उठाती रही हैं।
बीते गुरुवार को उत्तराखंड के रामनगर में महिलाओं ने महिला एकता मंच के बैनर तले इस मांग को लेकर तहसील परिसर में धरना प्रदर्शन किया गया।
महिलाओं ने मांग रखी कि 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन के रूप में मनाया जाता है, उस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाये।
इसके अलावा महिलाओं के द्वारा बुज़ुर्ग विधवा परित्यक्ता व विकलांग पेंशन को न्यूनतम ₹5000 मासिक किये जाने, भोजन माता, आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्ताओं को न्यूनतम वेतन दिये जाने व उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित किये जाने की भी मांग की रखी गई।
महिला संगठन ने रोजगार को मौलिक अधिकार घोषित किये जाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया।
सभा को संबोधित करते हुए विद्यावती आर्य ने कहा कि “8 मार्च महिलाओं के संघर्ष को याद करने का दिन है। इस दिन को सरकारी अवकाश घोषित न किया जाना सरकारों की पुरुष प्रधान मानसिकता का प्रतीक है।”
ललिता रावत ने कहा कि “हमारे संविधान में महिलाओं को मिला समानता का अधिकार कानून की किताबों तक सिमट कर रह गया है। वास्तविक बराबरी के लिए हम महिलाओं को संगठित होकर संघर्ष करने की जरूरत है।”
सरस्वती जोशी ने बताया कि महिला अधिकार अभियान के तहत 8 मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मालधन में भी जुलूस प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा।
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