अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन महिला मज़दूर मानेसर की कंपनी में हड़ताल पर बैठीं

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन महिला मज़दूर मानेसर की कंपनी में हड़ताल पर बैठीं

एक तरफ़ पूरे देश और दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है दूसरी तरफ़ हरियाणा के गुड़गांव-बावल औद्योगिक क्षेत्र में महिला मज़दूर हड़ताल पर बैठ गई हैं।

बावल में कीहिन फ़ी ऑटो पार्ट्स मेकर कंपनी के बाद महिला मज़दूर मानेसर के सेक्टर तीन में स्थित जेएनएस ऑटो पार्ट्स मेकर कंपनी में  सोमवार को सुबह आठ बजे अनिश्चित हड़ताल पर चली गईं।

कंपनी में परमानेंट वर्कर बहुत कम हैं और अधिकांश महिला मज़दूर हैं। मज़दूरों की अगुवाई करने वाली रिंकी कुमारी ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि कंपनी में क़रीब 1400 वर्कर काम कर रहे हैं जिनमें क़रीब दो तिहाई महिला मज़दूर हैं।

उन्होंने बताया कि डिमांड नोटिस (वेतन समझौते) को लेकर मैनेजमेंट के साथ बातचीत चल रही थी लेकिन मैनजमेंट बात करने को तैयार नहीं है। डिमांड नोटिस का मामला पहले से ही श्रम कार्यालय और डिप्टी लेबर कमिश्नर के पास चल रहा है।

महिला मज़दूरों का कहना है कि मैनेजमेंट समझौते को लेकर राज़ी नहीं दिख रहा और उसका रवैया टालमटोल का है।

रिंकी कहती हैं, “अभी ये फ़ाइल डिप्टी लेबर कमिश्नर दिनेश कुमार के पास है और वार्ता के दौरान मैनेजमेंट एक भी मांग मानने को तैयार नहीं है। क्या करेंगे, कब करेंगे इसका कोई संतोष जनक उत्तर नहीं दे रहे, बल्कि तारीख़ पर तारीख़ दे रहे हैं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि छह सात महीने पहले यूनियन बनाने की फ़ाइल लगाई गई थी, तबसे मैनेजमेंट वर्करों को परेशान कर रहा है। कंपनी में अभी तक कोई यूनियन नहीं है और परमनेंट वर्कर भी महज 45 के क़रीब हैं, जिनमें आधी लड़कियां हैं।

डिमांड नोटिस के बाद वर्करों का उत्पीड़न

रिंकी कुमारी के अनुसार, “जब हमने वेतन समझौते का नोटिस भेजा तबसे मैनेजमेंट वर्करों से दुश्मनाना बर्ताव करने लगा। महिला मज़दूरों के बाथरूम, रोटी, पानी तक की किल्लत पैदा करने की कोशिश की गई। यहां तक कि घर परिवार में किसी के बीमार या मृत्यु होने की स्थिति में छुट्टी लेने पर पंचिंग बंद कर गेट से बाहर किया जाने लगा।’

रिंकी बताती हैं कि ‘कंपनी में महिला मज़दूरों से 12 घंटे काम कराया जाता है। सुबह नौ बजे कंपनी में एंट्री होती है और शाम को छह बजे छुट्टी होती है। कभी कभी रात से आठ नौ बजे तक भी रोका जाता है। जबकि सुबह हम लोगों को सात बजे तैयार होकर बस में बैठ जाना होता है और कंपनी गेट पर 8.30 बजे तक हाजिरी लगानी होती है।’

ये सभी वर्कर कंपनी के अंदर बने ग्राउंड में बैठे हुए हैं और अपनी मांग लेकर मैनेजमेंट से बातचीत करने को कह रहे हैं।

बीते एक महीने के भीतर ये तीसरी ऑटो पार्ट्स मेकर कंपनी है जिसमें श्रमिक असंतोष उभर कर आया है और वर्कर कंपनी में हड़ताल पर चले गए। 15 फ़रवरी को हरियाणा के आईएमटी बावल औद्योगिक क्षेत्र में स्थित कीहिन फ़ी में महिला मज़दूर हड़ताल पर चले गए और अभी तक गेट के सामने दिन रात धरना दे रहे हैं।

इसके ठीक 17वें दिन आईएमटी मानेसर में सत्यम ऑटो में मज़दूर शॉप फ्लोर पर धरने पर बैठ गए और 24 घंटे की हड़ताल के बाद मैनेजमेंट उनसे बातचीत करने को तैयार हुआ।

और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर जेएनएस में ये महिला मज़दूर हड़ताल पर बैठ गई हैं। बीते अगस्त और दीपवाली के मौके पर भी जेएनएस के मज़दूरों और प्रबंधन के बीच तनाव पैदा हुआ था। दीपावली में तो फंफूद लगी मिठाई गिफ़्ट को वर्करों ने कंपनी गेट पर ही फेंक दिया था, जिससे प्रबंधन की काफ़ी थू थू हुई थी।

दरअसल लॉकडाउन की आड़ लेते हुए बहुत सारी कंपनियों  ने वर्करों की सुविधाओं में कटौती, वेतन समझौता नहीं किया, मनमाने तरीक़े से छंटनी की, जिससे पूरे औद्योगिक इलाके में भारी श्रमिक असंतोष पनप रहा है।

एचएमएस के नेता जसपाल राणा का कहना है कि “जिन जिन कंपनियों में वेतन समझौता रुका हुआ है, वहां वहां हड़ताल होने की पूरी संभावना है। मैनेजमेंट कोरोना का पूरा फायदा उठाने पर उतारू है। हालत ये हो गई है कि डिमांड नोटिस प्लांट में दिया गया है और मैनेजमेंट वर्करों की शिकायत चंडीगढ़ में करके आता है। इससे भी बात नहीं बनती है तो पुलिस में एफ़आईआर दर्ज कराता है। तरह तरह दबाव बनाने की कोशिश होती है। यूनियन बॉडी के सदस्यों का ट्रांसफ़र, निलंबन, निष्कासन जैसे सारे हथकंडे मैनेजमेंट अपनाता है।”

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Workers Unity Team

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