https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2023/01/kaifi-azmi.jpg

कैफ़ी आज़मीः जब मदरसे में यूनियन बनाने के लिए बैठ गए धरने पर

By आमिर मलिक कुछ शायर अपनी ज़िन्दगी में एक युग का निर्माण कर गुज़रते हैं۔ बीसवीं सदी के महानतम शायरों में शुमार कैफ़ी आज़मी भी ख़ुद में एक ज़माना समोए …

कैफ़ी आज़मीः जब मदरसे में यूनियन बनाने के लिए बैठ गए धरने पर पूरा पढ़ें
https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2023/01/urban-worker-painting.jpg

शहरी मज़दूरों की ऐतिहासिक पेंटिंग के पीछे की कहानी

By Ashok Bhowmick यूरोप में उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में कई ऐसे चित्रकार उभरे, जिन्होंने मज़दूरों की जिंदगी की आम घटनाओं का चित्रण किया। चित्रकला में आम जनों के जीवन …

शहरी मज़दूरों की ऐतिहासिक पेंटिंग के पीछे की कहानी पूरा पढ़ें

थर्ड वर्ल्ड सिनेमा, समानांतर सिनेमा और सामाजिक आन्दोलनों का डाक्यूमेंट्री पर प्रभाव: Part-6

By मनीष आज़ाद 1960 से पहले डाक्यूमेंट्री यानी ‘दस्तावेजी फ़िल्मों’  में उतना काम नहीं था। ज़्यादातर सरकार के सहयोग से उसी तरह की डाक्यूमेंट्री बनती थी, जो पहले आप पिक्चर …

थर्ड वर्ल्ड सिनेमा, समानांतर सिनेमा और सामाजिक आन्दोलनों का डाक्यूमेंट्री पर प्रभाव: Part-6 पूरा पढ़ें
https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2022/12/Ankur-Film-scene.jpg

हिंदी सिनेमा पर समानांतर सिनेमा और सामाजिक आन्दोलन का प्रभाव : Part-5

By मनीष आज़ाद हिंदी पर आते हैं। तकनीकी रूप से देखें तो 1966 में बनी ‘भुवन शोम’ (मृणाल सेन) और 1969 में बनी ‘उसकी रोटी’ (मणि कौल) से समानांतर सिनेमा …

हिंदी सिनेमा पर समानांतर सिनेमा और सामाजिक आन्दोलन का प्रभाव : Part-5 पूरा पढ़ें

फ्रांसीसी क्रान्ति : पुरुषों और नागरिकों के अधिकारों का घोषणापत्र

By अशोक पांडे फ्रांसीसी क्रान्ति के मैनिफेस्टो के तौर पर 1789 में पांच पुरुषों की एक कमेटी की अगुवाई में जो दस्तावेज़ तैयार हुआ उसे ‘पुरुषों और नागरिकों के अधिकारों …

फ्रांसीसी क्रान्ति : पुरुषों और नागरिकों के अधिकारों का घोषणापत्र पूरा पढ़ें

समानांतर सिनेमाः गैर तेलुगु लोगों द्वारा बनाई गईं तेलुगु फ़िल्में : Part-4

By मनीष आज़ाद अब हम आते हैं तमिल सिनेमा पर। तमिल सिनेमा में समानान्तर सिनेमा उस तरीके से नहीं आया। उसका एक बड़ा कारण शायद यह था कि तमिल सिनेमा …

समानांतर सिनेमाः गैर तेलुगु लोगों द्वारा बनाई गईं तेलुगु फ़िल्में : Part-4 पूरा पढ़ें
https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2022/12/Pather-Panchali-1.jpg

बांग्ला फ़िल्में: थर्ड वर्ल्ड सिनेमा, समानांतर सिनेमा और सामाजिक आन्दोलन का प्रभाव – Part-3

By मनीष आज़ाद जैसे राजनीति में बांग्ला ने एक दिशा दिखाई, वैसे ही सिनेमा में भी इसने दिशा दिखाई। हम सभी मानते हैं कि 1955 में सत्यजीत रे की ‘पाथेर …

बांग्ला फ़िल्में: थर्ड वर्ल्ड सिनेमा, समानांतर सिनेमा और सामाजिक आन्दोलन का प्रभाव – Part-3 पूरा पढ़ें
https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2022/12/Kafan-TN.jpg

WU Podcast की ‘ज़िंदा कहानियां’ सिरीज़ में सुनिए मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘कफ़न’

वर्कर्स यूनिटी ने कथासम्राट मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कहानी कफ़न को पॉडकास्ट के रूप में पेश किया है, जिसे सुनाया है सुनीता पन्ना ने। इस कहानी में उत्तर भारत का …

WU Podcast की ‘ज़िंदा कहानियां’ सिरीज़ में सुनिए मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘कफ़न’ पूरा पढ़ें
https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2022/12/kummatty-g-arvindam-film.jpg

समानांतर सिनेमा का आंदोलन और मलयालम सिनेमा का योगदान : Part-2

By मनीष आज़ाद भारतीय फ़िल्मों और उस पर नक्सलबाड़ी आन्दोलन के असर की बात करें तो मलयालम फ़िल्मों पर उसका गहरा असर दिखता है। यहाँ एक बड़ा नाम ‘जॉन अब्राहम’ …

समानांतर सिनेमा का आंदोलन और मलयालम सिनेमा का योगदान : Part-2 पूरा पढ़ें
https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2022/12/the-centipedes-book.jpg

‘दी सेंटीपीड’ : आज के दौर के ‘दुःस्वप्न’ का यथार्थ…

By मनीष आजाद “एक सपने में मैंने देखा कि सड़क पर खून फैला हुआ है और एक व्यक्ति जिसने महंगा सूट व सभी उंगलियों में हीरे की अँगूठी पहनी हुई …

‘दी सेंटीपीड’ : आज के दौर के ‘दुःस्वप्न’ का यथार्थ… पूरा पढ़ें