हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं किया जा रहा मज़दूरों को बहाल
राजधानी दिल्ली के मूलचंद स्थित राजकुमारी अमृत कौर कॉलेज ऑफ नर्सिंग के बाहर, ऐक्टू से सम्बद्ध ‘रैकौन कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी यूनियन’ के बैनर तले पिछले 50 दिनों से कॉन्ट्रैक्ट मज़दूर आंदोलनरत हैं।
मज़दूरों का कहना है कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम करनेवाले कर्मचारियों को कॉलेज और ठेकेदार की मिलीभगत से काम से निकाल दिया गया है।
इन मज़दूरों ने समान काम-समान वेतन और नियमितीकरण जैसी मांगो को कॉलेज प्रशासन के समक्ष उठाया था, लेकिन कॉलेज प्रशासन लगातार नज़रअंदाज कर रहा है।
जिसके बाद मज़दूरों ने अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए अपनी यूनियन की कोशिश में लगे हुए थे। इन्हीं कारणों के चलते यूनियन से जुड़े 39 कर्मचारियों को काम से निकाल दिया गया है।
दिल्ली के अंदर लगातार जारी है कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों का शोषण
बात चाहे किसी सरकारी कार्यस्थल की हो या निजी संस्थान की कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को मैनजमेंट की इच्छानुसार गैरकानूनी तरीके से कभी भी काम से निकाल दिया जाता है। ऐसा विशेषकर उन मज़दूरों के साथ होता है जो यूनियन बनाने की कोशिश करते हैं या अपनी मांगों को लेकर आवाज़ उठाते हैं।
ऐक्टू के दिल्ली राज्य सचिव सूर्यप्रकाश बताते हैं कि “देश के कई लोग इस बात से परेशान हैं कि स्वीडन की एक संस्थान द्वारा भारत के ‘इलेक्टेड ऑटोक्रेसी’ हो जाने की बात कही गई है। सच तो ये है कि देश के मज़दूरों के लिए आज़ादी एक सपना मात्र है।”
आगे उन्होंने बताया कि “केंद्र सरकार के अधीन नर्सिंग कॉलेज जब हाई कोर्ट तक के आदेश को नही मानती, तब और क्या कहना बाकी रह जाता है। हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे जब तक सभी मज़दूरों को काम पर वापस नही लिया जाता।”
हाई कोर्ट के आदेश की हो रही है अनदेखी
9 फरवरी 2021 और 17 मार्च 2021 के आदेश में दिल्ली उच्च न्यायालय ने साफ तौर पर कॉलेज प्रशासन को ये निर्देश दिए हैं कि किसी भी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी को काम से नही निकाला जाए।
इसके बावजूद कॉलेज प्रशासन और ठेकेदार के गठजोड़ द्वारा मज़दूरों को काम पर वापस नही लिया गया है।
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही ‘कंपीटेंट सर्विसेज’ नामक कंपनी और ‘लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल’ के प्रबंधन ने 26 नवंबर की स्ट्राइक का पोस्टर लगाने के चलते कई कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को काम से निकाल दिया था।
जिसके बाद मज़दूरों की दो महीने लम्बी चली लड़ाई के बाद सभी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को काम पर वापस रखने के साथ, पूरे वेतन का भी भुगतान करना पड़ा।
दोनों ही संस्थानों में कुछ बातें एक जैसी हैं – LHMC और ‘राजकुमारी अमृत कौर नर्सिंग कॉलेज’ केंद्र सरकार के अधीन हैं, दोनों ही जगहों पर एक ही कम्पनी को ठेका मिला है और दोनों ही जगहों पर यूनियन करने के लिए आगे बढ़ने वाले कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को काम से निकाला गया।
मज़दूरों ने बताया कि ऐसे में इस संभावना से इंकार नही किया जा सकता कि कुछ कंपनियां सीधे मंत्रालयों से सांठगांठ करके कॉन्ट्रैक्ट ले रही हैं और मनमाने तरीके से मज़दूरों के अधिकार छीन रही हैं।
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