मोदी के लेबर कोड से बढ़ जाएगा काम, घट जाएगा वेतन, ओवरटाइम, ब्रेक के भी नियम बदलेंगे

मोदी के लेबर कोड से बढ़ जाएगा काम, घट जाएगा वेतन, ओवरटाइम, ब्रेक के भी नियम बदलेंगे

आने वाले 1 अप्रैल से नये श्रम कानून पूरे देश भर में लागू कर दिये जायेंगे और इसके साथ ही श्रमिकों के वेतन,ग्रेच्युटी,पीएफ और काम के घंटों में ढेर सारे बदलाव देखने को मिलेंगे।

मोदी सरकार काम के घंटे, ओवरटाइम, ब्रेक का समय और दफ्तर में कैंटीन जैसे नियमों में बदलाव करने जा रही है। कर्मचारी लगातार 5 घंटे से अधिक काम नहीं करेंगे, उन्हें इस बीच आधे घंटे का ब्रेक देना होगा।

इसके अलावा कर्मचारियों को ग्रेच्युटी और भविष्य निधि (पीएफ) मद में बढ़ोतरी होगी। वहीं, हाथ में आने वाला पैसा (टेक होम सैलरी) घटेगा।

यहां तक कि कंपिनयों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होंगी। इसकी वजह है पिछले साल संसद में पास किए गए तीन मजदूरी संहिता विधेयक (कोड ऑन वेजेज बिल)। इन विधेयकों के इस साल 1 अप्रैल से लागू होने की संभावना है।

सैलरी में दिखेंगे ये बदलाव

वेज (मजदूरी) की नई परिभाषा के तहत भत्ते कुल सैलेरी के अधिकतम 50 फीसदी होंगे। इसका मतलब है कि मूल वेतन (सरकारी नौकरियों में मूल वेतन और महंगाई भत्ता) अप्रैल से कुल वेतन का 50 फीसदी या अधिक होना चाहिए।

गौरतलब है कि देश के 73 साल के इतिहास में पहली बार इस प्रकार से श्रम कानून में बदलाव किए जा रहे हैं। एक तरफ श्रमिक संगठन नये लेबर कोड को पूरी तरह से श्रमिकों के खिलाफ बता रही है वही दुसरी ओर सरकार का दावा है कि नियोक्ता और श्रमिक दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे।

सैलरी घटेगा लेकिन बढ़ेगा पीएफ

नए ड्राफ्ट रूल के अनुसार, मूल वेतन कुल वेतन का 50% या अधिक होना चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों की वेतन संरचना बदलेगी, क्योंकि वेतन का गैर-भत्ते वाला हिस्सा आमतौर पर कुल सैलेरी के 50 फीसदी से कम होता है।

मूल वेतन बढ़ने से आपका पीएफ भी बढ़ेगा। पीएफ मूल वेतन पर आधारित होता है। मूल वेतन बढ़ने से पीएफ बढ़ेगा, जिसका मतलब है कि टेक-होम या हाथ में आने वाला वेतन में कटौती होगी।

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 काम के 12 घंटे करने का प्रस्ताव, ओवरटाइम के लिए होंगे नए नियम

नए ड्राफ्ट कानून में कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव पेश किया है।

हांलाकि कुछ दिनों पहले श्रम राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने संसद में एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा था कि मज़दूरों से 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं लिया जा सकेगा।

ओएसच कोड के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है।

( हिन्दुस्तान की खबर से साभार)

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Abhinav Kumar

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