खुशखबरी: पंजाब के दलित खेतिहर मज़दूरों को दो जिलों में मिली एक-तिहाई पंचायती जमीन
पंजाब के दलित खेतिहर मजदूरों को एक बड़ी सफतला मिली है। काफी समय से लगातार संघर्ष के बाद खेतिहर मज़दूरों को शुक्रवार को दो जिलों के गांवों में पंचायती जमीन का एक-तिहाई हिस्सा मिला है।
इसके बाद गांव के खेतिहर मज़दूरों के घरों में ख़ुशी का माहौल है। सभी मज़दूर इस सफलता को एक त्यौहार की तरह मान रहे हैं।
क्रांतिकारी पेंडु मजदूर यूनियन (KPMU) के राज्य सचिव, लखवीर ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि, “समाना के गांव, खेड़ी भीमा में पंचायती जमीन का एक-तिहाई भूखंड, 3.5 एकड़ मांग के अनुसार 20,000 रुपए की दर पर दलित खेतिहर मज़दूरों को दिया गया है।”
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साथ ही मंगलवार को पटियाला के सदरपुरा गांव में दलित खेतिहर मज़दूरों को 2.5 एकड़ जमीन दी गई है।
लखवीर ने कहा कि लेकिन मात्र तीन साल के लिए ही यह जमीनें दलित मज़दूरों को दी गयी हैं।
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साथ ही उन्होंने बताया कि क्रांतिकारी पेंडु मजदूर यूनियन (KPMU) और अन्य ट्रेड यूनियन के सदस्यों के अथक प्रयास और प्रदर्शनों के बाद Punjab Village Common Lands (Regulation) Act, 1961 को सन 2008 में संगरूर जिले में पारित करवाया था।
किसके बाद से अभी तक 200 गांव ऐसे हैं जहां दलित खेतिहर मज़दूरों को पंचायती जमीन का एक-तिहाई हिस्सा दे दिया गया है।
अंत में लखवीर का कहना है कि “इन पट्टों के मिल जाने से दलित परिवारों की महिलाओं के साथ होने वाले शोषण में कमी आएगी।”
अभी तक गांव की दलित महिला मज़दूर अपने पालतू जानवरों के लिए जमीदारों और किसानों के खातों से चारा लाती थीं जिसके कारण कभी न कभी उनका मानसिक और शारीरक उत्पीड़न और शोषण किया जाता था।
साथ ही उनका कहा है कि जमीनी पट्टे मिलने के बाद दलित मज़दूरों में सामान विकास होता है। दलित खेतिहर मज़दूरों का कहना है कि, “जमीन हमारी भी माँ होती है तो इसपर हमारा भी हक है।”
गौरतलब है कि दलित खेतिहर मज़दूरों की ऐसी बहुत सी मांगे में जिनकी तरफ मान सरकार अभी भी ध्यान नहीं दे रही है।
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